नयी दिल्ली , अक्टूबर 13 -- प्रसिद्ध मनोचिकित्सक एवं डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में अग्रणी डॉ. संदीप वोहरा ने भारत का पहला पेटेंटेड भावनात्मक कल्याण सूचकांक (ईडब्ल्यूआई) ऐप लॉन्च किया है।

एनडब्ल्यूएनटी.एआई के संस्थापक डॉ. वोहरा ने सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत में भावनात्मक कल्याण स्क्रीनिंग टूल ईडब्ल्यूआई के लॉन्च के बारे में कहा, "मानसिक स्वास्थ्य अब एक मौन संघर्ष नहीं रहा, यह व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। भावनात्मक कल्याण सूचकांक के साथ हमारा लक्ष्य डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य को समझने, उसका आकलन करने और उसका समाधान करने के तरीके में बदलाव लाना है। हमारा लक्ष्य भावनात्मक कल्याण को सभी के लिए सुलभ, किफ़ायती और दोष मुक्त बनाना है तथा हर महीने 10 लाख से ज़्यादा लोगों तक पहुँचना है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि मानसिक स्वास्थ्य को एक विशेषाधिकार के रूप में नहीं, बल्कि एक सार्वभौमिक अधिकार के रूप में मान्यता मिले।"गौरतलब है कि अमेरिका के ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के सहयोग से एक दशक से अधिक समय के शोध के बाद विकसित ईडबल्यूआई एक 55-बिंदु डिजिटल स्क्रीनिंग स्केल है जिसे विद्यार्थियों और और वयस्कों में तनाव का सटीक आकलन करके भावनात्मक कल्याण की दृष्टि से तैयार किया गया है। भारत में पेटेंट-संरक्षित यह नवाचार भारत को वैश्विक भावनात्मक कल्याण समाधानों में अग्रणी स्थान दिला सकता है।

मोबाइल ऐप्स, वेबसाइट और पहनने योग्य उपकरणों जैसे डिजिटल टूल का उपयोग करके मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना शामिल है, जो पारंपरिक थेरेपी के पूरक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

ईडब्ल्यूआई डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग को सक्षम बनाता है, भावनात्मक संकट की शीघ्र पहचान को सुगम बनाता है और समय पर हस्तक्षेप को बढ़ावा देता है। साथ ही यह लागत-प्रभावी, गोपनीय और दोष-मुक्त भी है। यह डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है जो मानसिक स्वास्थ्य नीतियों, कल्याण कार्यक्रमों और व्यक्तिगत देखभाल रणनीतियों को आकार देने में मदद करती है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो जैसे विश्वविद्यालयों ने जोखिम वाले विद्यार्थियों की सहायता के लिए भावनात्मक कल्याण जाँच को संरचित परामर्श कार्यक्रमों के साथ सफलतापूर्वक एकीकृत किया है। भारत मेंडॉ. वोहरा और उनकी टीम ने मानव रचना विश्वविद्यालय के साथ मिलकर एक ऐसा ही मॉडल लागू किया है, जिसकी शुरुआत व्यापक भावनात्मक कल्याण जाँच से होती है और उसके बाद कैंपस के परामर्शदाताओं से निरंतर सहायता मिलती है।

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