नयी दिल्ली , नवंबर 26 -- एक अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक घटनाक्रम में, भूटान, श्रीलंका, केन्या और मॉरीशस के मुख्य न्यायाधीशों के साथ-साथ नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की एक न्यायाधीश ने बुधवार को मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के साथ संक्षिप्त समय के लिए उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही देखी।
मुख्य न्यायाधीश ने आगन्तुक गणमान्यों का गर्मजोशी से स्वागत किया और इसे एक "ऐतिहासिक अवसर" करार दिया जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत सरकार की ओर से शुभकामनाएं दीं।
पीठ में मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची के साथ भूटान के मुख्य न्यायाधीश ल्योनपो नोरबू शेरिंग, केन्या की मुख्य न्यायाधीश मार्था कूमे, मॉरीशस की मुख्य न्यायाधीश रेहाना बीबी मुंगली-गुलबुल, श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश पद्मन सुरसेना और नेपाल सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सपना प्रधान मल्ला शामिल थीं। अदालत कक्ष में मलेशिया के संघीय न्यायालय से नलिनी पथ्मनाथन और श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालय से न्यायमूर्ति थुराईराजा पी.सी. और ए.एच.एम.डी. नवाज भी उपस्थित थे।
केन्या की मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि केन्याई न्यायालय "भारत के क्षेत्राधिकार का सम्मान करा है और नियमित रूप से सर्वोच्च न्यायालय के उदाहरणों का पालन करता है। उन्होंने केन्या के लोगों की ओर से शुभकामनाएं दीं और कानून का शासन को बनाए रखने के लिए निरंतर सहयोग की आशा व्यक्त की।
मॉरीशस की मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय न्यायशास्त्र ने लंबे समय से उनके न्यायालयों का मार्गदर्शन किया है और पूर्व मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की व्याख्यान के लिए मॉरीशस यात्रा को याद किया। उन्होंने कहा कि वह इस समारोह में शामिल होकर खुश हैं।
भूटान के मुख्य न्यायाधीश ने भारत की संवैधानिक यात्रा की प्रशंसा करते हुए भारत के संविधान को 106 संशोधनों से गुजरने वाला "सर्वश्रेष्ठ" बताया, जिसे "मानवता की सेवा" के लिए बनाया गया है। भारत की विविधता और लोकतांत्रिक लोकाचार की प्रशंसा करते हुए उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि उन्होंने आज उच्चतम न्यायालय में अपने पूरे शहर से भी अधिक वकील देखे हैं।
श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होना उनके लिए "बहुत सौभाग्य" की बात है तथा उन्होंने दोनों देशों के बीच साझा कानूनी विरासत पर प्रकाश डाला।
नेपाल की न्यायमूर्ति सपना प्रधान मल्ला ने भारत के तेज़ न्यायिक सुधारों और डिजिटल परिवर्तन की सराहना की और प्रगति की गति को रोमांचक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यह पहली बार है जब नेपाल की न्यायपालिका को भारतीय न्यायपालिका से इस तरह के अवसर के लिए सीधा निमंत्रण मिला है।
इससे पहले दिन में, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के संविधान दिवस समारोह में गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया, जहां एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह ने उनका स्वागत किया। वे 24 नवंबर को आयोजित मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल हुए थे।
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