मुंबई , नवंबर 10 -- यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (यूटीआई) के पूर्व अध्यक्ष और मुंबई स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एण्ड पब्लिक पॉलिसी ( एमएसईपीपी) के पूर्व छात्र डॉ. एस. ए. दवे ने सोमवार को कहा कि वित्त क्षेत्र में डिजिटलीकरण बड़ा परिवर्तन और सुविधा उत्पन्न कर रहा है और इस परिवर्तन को जिम्मेदारी से निर्देशित करने के लिए शिक्षा और उद्योग जगत तथा नीति निर्माताओं के बीच सहयोग जरूरी है।
उन्होंने कहा, ' यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा कि डिजिटल वित्त भारत की आर्थिक प्रगति में प्रभावी योगदान दे।' श्री दवे यहां "वित्तीय समावेशन के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियां" विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
श्री दवे ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) और एमएसईपीपी , मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कहा, ' वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता, दक्षता और समावेशन बढ़ाने की दिशा में डिजिटलीकरण से एक बुनियादी बदलाव आ रहा है। डिजिटल प्रौद्योगिकियों के समावेश से वित्तीय सेवाओं का अधिकाधिक लोगों तक विस्तार हो रहा है1उन्होंने कहा कि फिनटेक ( डिजिटल वित्तीय प्रौद्योगिकी) व्यक्तियों, विशेषकर हाशिये पर रहने वालों और उद्यमों को कर्ज देने वाली वित्तीय संस्थाओं के साथ अधिक सार्थक रूप से जुड़ने के लिए सशक्त बना रही हैं।
उन्होंने कहा, ' जैसे-जैसे तकनीक वित्तीय मध्यस्थता को नया रूप दे रही है, नीतिगत ध्यान यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित होना चाहिए कि नवाचार विश्वास मज़बूत करने, बाजार को स्थिर बनाये रखना और देश की विकास प्रक्रिया में भागीदारी को व्यापक बनाने जैसे विकास के उद्देश्यों की पूर्ति करे।
एनएसई के एमडी और सीईओ आशीषकुमार चौहान ने कहा, " एनएसई-एमएसईपीपी सम्मेलन में विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा करने के लिए एक साथ आ रहे हैं कि कैसे फिनटेक और डिजिटल वित्तीय मध्यस्थता आर्थिक विकास को नया रूप दे रही है।"दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुरू इस समारोह में डॉ. रवींद्र कुलकर्णी (कुलपति, मुंबई विश्वविद्यालय), डॉ. एस सुदर्शन (प्रोफेसर, आईआईटी बॉम्बे), शैलेश पाठक (वरिष्ठ सलाहकार, नीति एवं मीडिया, एनएसई) और डॉ. तीर्थंकर पटनायक (मुख्य अर्थशास्त्री, एनएसई) मौजूद थे। सम्मेलन की शुरुआत डॉ. एस सुदर्शन के मुख्य भाषण से हुई और इस बात पर चर्चा हुई कि कैसे प्रौद्योगिकी-सक्षम समाधानों ने पूंजी बाजारों में भागीदारी को व्यापक बनाया है।
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