कोयम्बटूर , अक्टूबर 27 -- रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को बैंकों से अपील की है कि वे वित्तीय संकट में फंसे, लेकिन दोबारा खड़े होने में सक्षम सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को ऋण दें।

केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने आरबीआई की स्थायी सलाहकार समिति के एमएसएमई को दिये गये ऋण की समीक्षा के लिए यहां आयोजित 30वीं बैठक को संबोधित करते हुए सूचना संबंधी विसंगतियों और वित्तीय जानकारी की खाई को भरने के लिए ट्रेड रिसिवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) जैसे डिजिटल समाधानों को अपनाने, वैकल्पिक क्रेडिट आंकलन मॉडलों को बढ़ावा देने और वित्तीय संकट में फंसे लेकिन अन्यथा सक्षम कंपनियों को ऋण देने में निष्पक्ष और पारदर्शी ऋण प्रक्रिया अपनाने की अपील की।

उन्होंने एमएसएमई संगठनों से भी क्षमता निर्माण और सूचना-खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जरूरत पर भी जोर दिया।

श्री स्वामीनाथन ने इस सेक्टर के सामने आ रही मुश्किलों को दूर करने के लिए आरबीआई द्वारा किये गये नियामक उपायों का भी जिक्र किया। इसमें फ्लोटिंग रेट पर दिये गये ऋण को पहले पूरा चुकाने पर लगने वाले जुर्माने को समाप्त करना और आयात-निर्यात डाट प्रोसेसिंग एवं निगरानी प्रणाली संबंधी रिपोर्टिंग में रियायत देना शामिल है।

बैठक में वित्तीय सेवा विभाग के संयुक्त सचिव, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक, प्रमुख बैंकों तथा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के वरिष्ठ अधिकारी, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, भारतीय बैंकों के संघ, वित्त औद्योगिक विकास परिषद तथा अन्य संबंधित संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

बैठक के दौरान समिति ने एमएसएमई को दिये गये ऋण की समीक्षा की और ऋण उठाव में मौजूदा खाई को भरने के तौर-तरीकों, नकदी प्रवाह आधारित ऋण और कर्ज देने में डिजिटल समाधानों पर चर्चा की गयी।

एक सत्र के दौरान उद्योगों ने मौजूदा भू-राजनैतिक परिस्थितियों के कारण जारी अनिश्चितता का मुद्दा उठाया और सरकार, नियामक तथा बैंकों से मदद की अपील की।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित