नयी दिल्ली , नवंबर 11 -- भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) की अर्धवार्षिक शिकायत रिपोर्ट (2025-26) के अनुसार, विज्ञापन नियमों के उल्लंघन के 97 प्रतिशत मामलों के लिए डिजिटल मीडिया जिम्मेदार रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2025 में अप्रैल से सितंबर माह के बीच एएससीआई ने 6,841 शिकायतों की समीक्षा की और 6,117 विज्ञापनों की जांच की। इनमें से 98 फीसदी में संशोधन की आवश्यकता थी। पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में शिकायतों में 70 फीसदी और विज्ञापनों पर कार्रवाई में 102 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
अवैध सट्टेबाजी में 4,575 विज्ञापन, तीन सरोगेट विज्ञापन, पर्सनल केयर में 367, स्वास्थ्य देखभाल में 332, खाद्य एवं पेय पदार्थों में 211 और शिक्षा में 71 विज्ञापन नियमों का उल्लंघन करते पाये गये। ये नियमों का उल्लंघन करने वाले पांच सबसे बड़े क्षेत्र के रूप में सामने आये हैं। यह कुल मामलों का लगभग 90 प्रतिशत है।
एएससीआई की मुख्य कार्यकारी अधिकारी और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद सट्टेबाजी के विज्ञापनों का बड़े पैमाने पर प्रसार और शीर्ष इन्फ्लुएंसर्स द्वारा मानकों का पालन न किया जाना, हाल के दिनों में सामने आई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। डिजिटल माध्यमों में उपभोक्ता विश्वास संवेदनशील होता है और इस तरह की प्रवृत्तियां पूरे उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। हालाँकि, यह सकारात्मक है कि बिना विवाद वापस लिए गए विज्ञापनों और स्वैच्छिक अनुपालन की दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह एएससीआई की भूमिका को उपभोक्ता हितों की रक्षा करने वाली पहली और प्रमुख पंक्ति के रूप में और मजबूत करता है।
उन्होंने कहा कि जहां उल्लंघन बार-बार और जानबूझकर किए जाते हैं, वहां कठोर नियामकीय कार्रवाई आवश्यक है, ताकि स्पष्ट संदेश जाए और उपभोक्ता हित सुरक्षित रहें। एएससीआई लगातार संबंधित वैधानिक नियामकों के साथ डाटा और जानकारी साझा करता है, ताकि कानूनी ढाँचे के तहत कार्रवाई हो सके और हम सभी हितधारकों के साथ मिलकर एक सशक्त विज्ञापन नियमन तंत्र को आगे बढ़ाते रहेंगे।
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