जयपुर , अक्टूबर 23 -- राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में अपना योगदान देने की दिशा में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार विकसित राजस्थान के संकल्प को लेकर कार्य कर रही है।

आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि इस संकल्प को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में विकसित राजस्थान दृष्टि दस्तावेज तैयार किया गया है। युवा, महिला, किसान और गरीब को केन्द्र में रखते हुए यह दस्तावेज विकसित भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप राजस्थान का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित करेगा। गत अगस्त में सम्पन्न हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस विजन डॉक्यूमेंट का अनुमोदन भी कर दिया गया है।

दृष्टि दस्तावेज में कृषि, उद्योग, पर्यटन और नवीकरणीय ऊर्जा को प्रमुख आधार बनाते हुए राज्य की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2047 तक चार खरब तीस करोड डॉलर बनाने की परिकल्पना की गई है। इस योजना के मुताबिक राज्य में विकसित देशों की तर्ज पर सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। इसके साथ ही, शत-प्रतिशत साक्षरता, सुलभ स्वास्थ्य, सतत जल प्रबंधन, स्मार्ट शहरीकरण, पर्यावरण संरक्षण एवं युवा एवं महिला सशक्तीकरण के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में योजनाबद्ध रूप से कार्य किया जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2047 के दूरगामी लक्ष्य को हासिल करने के लिए चरणबद्ध रूप से विकास की रूपरेखा बनाई है। इसके लिए वर्ष 2030, 2035 और 2040 के मध्यावधि लक्ष्य भी तय किए गए हैं। इस प्रकार विभिन्न चरणों में आकार लेते हुए राज्य के विकास की तस्वीर पूर्ण होगी।

सूत्रों ने बताया कि विकास के इस दस्तावेज को प्रमुख रूप से चार विषयों और 13 क्षेत्रों में बांटा गया है। पहला विषय जन कल्याण एवं सामाजिक सशक्तीकरण पर आधारित है, जिसमें कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक कल्याण को शामिल किया गया है। दूसरा त्वरित विकास, समृद्धि एवं रोजगार सृजन पर आधारित है, जिसमें उद्योग, खनन एवं आर्थिक वृद्धि के साथ ही, पर्यटन एवं सांस्कृतिक विकास को जोड़ा गया है।

तीसरा विषय भविष्य उन्मुख राजस्थान, आधारभूत अवसंरचना और सतत विकास पर आधारित है। इसमें आधारभूत विकास, जल सुरक्षा एवं अनुकूलता और पर्यावरण स्थायित्व एवं जलवायु अनुकूलता जैसे क्षेत्रों को समाहित किया गया है। इसका चौथा विषय नीति, वित्त और शासन के दस्तावेज को समेटे हुए हैं, जिसमें ग्रामीण और शहरी विकास, प्रभावी शासन व्यवस्था, सार्वजनिक सेवाएं और वित्तीय प्रबंधन एवं आर्थिक नीति को जोड़ा गया है।

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