मिर्जापुर, सितंबर 29 -- अध्यात्म के लिये प्रसिद्ध विंध्याचल धाम में मोक्ष की कामना से साधु संत नौ दिन यहां पाठ अनुष्ठान में लीन रहते हैं।

दूसरी ओर वाममार्गियों साधकों के लिए भी विंध्याचल धाम सिद्ध स्थल के लिए भी चर्चित रहा है।देश के विभिन्न क्षेत्रों से तांत्रिक तंत्र साधना के लिए आते हैं। वाममार्गी साधक सप्तमी को महानिशा में पंच मकार विधि से अपनी तंत्र मंत्र को जगाते हैं। ये पद्धति रोंगटे खड़ा कर देते वाला होता है।महानिशा मां पार्वती का उग्र स्वरूप के लिए पूजा जाता है। विंध्य धाम में तांत्रिकों का जमावड़ा शुरू हो गया है। तंत्र साधक विंध्य पर्वत के गुफा कंदराओं से लेकर गंगा के श्मशान तक अपनी साधना के लिए जुटते हैं। इन स्थानों में अष्टभुजा, कालीखोह, तारामंदिर, काल भैरव, रामगया घाट, भैरव कुंड मोतिया तालाब के जंगल आदि है।

यहां तांत्रिक दोनों नवरात्र में सप्तमी महानिशा में तंत्र साधना के लिए उपस्थित होते हैं। विंध्याचल के बाबू मिश्र बताते हैं कि प्रशिक्षु तांत्रिक नवरात्र के सप्तमी तिथि से साधना शुरू करते हैं। वे बताते हैं कि अन्य सिद्ध तांत्रिक अपनी साधना को जगाते हैं। तंत्र साधक की साधना बड़ी कठिन होती है। कुछ समय पहले पंचमकार पद्धति से करते रहे हैं। जिसमें मद्य, मांस, मैथुन , मुद्रा एवं मीन रहा है।

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