नयी दिल्ली , दिसम्बर 24 -- दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी की पूर्व संध्या पर बुधवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित प्रदेश मुख्यालय के साथ ही सभी 14 जिला कार्यालयों पर 'दीपोत्सव' का आयोजन किया। इस मौके पर प्रदेश मुख्यालय में 101 दीप प्रज्वलित किये गये।
भाजपा के प्रदेश मुखालय पर दिवंगत वाजपेयी की तस्वीरों को फूलों से सजाया गया था। यहां प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा, दिल्ली सरकार के मंत्री प्रवेश साहिब सिंह और मनजिंदर सिंह सिरसा ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम को प्रारम्भ किया और श्री वाजपेयी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की।
इस मौके पर श्री राजकुमार भाटिया, श्री गजेन्द्र यादव, श्री अभय वर्मा, श्री दिनेश प्रताप सिंह, श्रीमती योगिता सिंह, श्री प्रवीण शंकर कपूर, श्रीमती सुनीता कांगड़ा, श्रीमती लता गुप्ता, श्री बृजेश राय, श्री अमित गुप्ता, श्री विक्रम मित्तल, श्रीमती सारिका जैन, श्री अदितय झा, श्रीमती ऋचा पांडेय, श्री सागर त्यागी, श्री अनीस अब्बासी एवं श्री सी.एल. मीणा, एन.डी.एम.सी. सदस्य श्रीमती सरिता तोमर, कार्यक्रम संयोजक श्रीमती शिखा माथुर और श्रीमती मनी बंसल ने श्री वायपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
गौरतलब है कि गुरुवार को श्री वाजपेयी की 101वीं जयंती है। इसको लेकर प्रदेश भाजपा कार्यालय में आज 101 दीप प्रज्वलित किये गये।
इस अवसर श्री सचदेवा ने कहा कि श्री बिहारी वाजपेयी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और एक महान राजनेता थे। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1951 में जनसंघ पार्टी से की थी और बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संस्थापक सदस्यों में से एक बने।
उन्होंने कहा कि वह (श्री वाजपेयी) एक सरल हृदय कवि भी थे और उनकी कविताएं बेहद लोकप्रिय हुयीं। उनमें से अनेक आज भाजपा कार्यक्रमों में गाये जाते हैं।
उन्होंने कहा कि श्री वाजपेयी के चेहरे पर हर पल मुस्कुराहट रहती थी और वह जनसंघ या भाजपा ही नहीं हर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता के बीच लोकप्रिय थे। वह जहां भी भाषण देने जाते वहां उनके भाषण सुनने पहुचने वालों में अन्य दलों विचारधाराओं के लोग शामिल रहते थे। वर्ष 1971 के बंगलादेश निर्माण के लिए आयोजित युद्ध के समय जहां श्री वाजपेयी ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को सहयोग दिया। वहीं चार साल बाद 1975 में जब कांग्रेस सरकार ने अपातकाल लगा कर नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन किया, तब उन्होंने जमकर विरोध किया और जेल गये।
उन्होंने बताया कि श्री वाजपेयी ने 1996, 1998 और 1999 में तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक सुधारों को लागू किया, जिनमें परमाणु परीक्षण, पोखरण-2 शामिल हैं।
उन्होने अलग अलग कई क्षेत्रों से चुनाव लड़े पर 1991 से 2004 तक मुस्लिम बहुल लखनऊ से चुनाव लड़ कर जीते और साबित किया था वह कितने समरस और सर्वमान्य नेता हैं।
उन्होंने कहा कि श्री वाजपेयी के जीवन से जुड़ी कुछ किवदंतियां हमेशा याद रखी जायेंगी , जिनमें 'भारत एक राष्ट्र है, जहां सपने देखे जाते हैं और सच होते हैं।', 'हमारे पास एक सपना है, एक मजबूत और समृद्ध भारत बनाने का।', 'राजनीति में कभी-कभी आपको अपने विरोधियों के साथ भी हाथ मिलाना पड़ता है।'उन्होंने कहा कि श्री वाजपेयी को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। सोलह अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत भारतीय राजनीति में हमेशा याद रखी जाएगी।
वहीं, श्री साहिब सिंह ने कहा कि श्री वाजपेयी युवा, प्रौढ़ और बुजुर्ग हर उम्र के कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत थे, हैं और हमेशा रहेंगे। उन्होंने कहा कि सौम्य स्वाभाव और आत्मविश्वास के धनी श्री वाजपेयी ने कभी हार से विचलित हुए, ना जीत कर अहंकारी हुए। उन्होंने पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के आदर्शों का पालन करते हुए राजनीति और सत्ता को समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन उत्थान का माध्यम माना।
श्री सिरसा ने कहा कि श्री वाजपेयी ने देश को पहली गैर कांग्रेस गठबंधन की स्थिर सरकार दी और और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना ला कर देश के किसानों को विकास का लाभ पहुंचाया।
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