हैदराबाद , अक्टूबर 18 -- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय नेता डॉ. के. नारायण और भाकपा विधान पार्षद नेल्लिकंती सत्यम सहित शीर्ष वामपंथी नेताओं ने पिछड़ा वर्ग के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर एक प्रदर्शन के दौरान तेलंगाना पिछड़ा वर्ग आरक्षण विधेयक को रोकने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की है।
यह राज्यव्यापी बंद के तहत महात्मा गांधी बस स्टेशन (एमजीबीएस) पर आयोजित किया गया था।
इस विरोध-प्रदर्शन में कई प्रमुख नेताओं ने भाग लिया। भाकपा के राज्य सचिव और विधायक कुनामनेनी संबाशिव राव, माकपा के राज्य सचिव जॉन वेस्ली, तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) के अध्यक्ष प्रो. कोडंडाराम, भाकपा माले (न्यू डेमोक्रेसी) के नेता गोवर्धन, भाकपा माले (मास लाइन) के नेता हनमाश, एमसीपीआई नेता गडागोनी रवि, अरुणोदय के संस्थापक विमलक्का और शिक्षाविद प्रो. पीएल विश्वेश्वर राव शामिल हैं।
भाकपा के राज्य सहायक सचिव ईटी नरसिम्हा, भाकपा राज्य समिति सदस्य पश्य पद्मा, कार्यकारी सदस्य छाया देवी, हैदराबाद जिला सचिव स्टालिन और जिला सहायक सचिव कामथम यादगी ने भी आंदोलन में भाग लिया।
भाकपा के राज्य सचिव कुनामनेनी संबाशिव राव ने कहा कि बंद की सफलता पिछड़ा वर्ग नेताओं के एकजुट प्रयासों का परिणाम है, जिन्होंने सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित की है। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार ने अध्यादेश लाकर और विधेयक पारित करके अपना काम कर दिया है। लेकिन विधानसभा में चुप रहने वाले भाजपा विधायक अब सड़कों पर पिछड़ा वर्ग के समर्थन का दिखावा कर रहे हैं।"श्री संबाशिव राव ने सवाल किया, "पिछड़ा वर्ग विधेयक को किसने रोका-मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री ने? भाजपा को ईमानदारी से जवाब देना चाहिए।" उन्होंने आरएसएस पर 'पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और गरीबों के खिलाफ' होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इतिहास गवाह है कि वीपी सिंह के नेतृत्व वाले मंडल आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के दौरान भी भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सामाजिक न्याय के एजेंडे से ध्यान हटाने के लिए 'कमंडल आंदोलन' शुरू कर दिया।
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