नई दिल्ली , अक्टूबर 01 -- वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने अंतरराष्ट्रीय कॉफ़ी दिवस के अवसर पर बुधवार को यहां कॉफ़ी बोर्ड द्वारा आयोजित कॉफ़ी एक्सपीरियंस ज़ोन और एक्सपो का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि भारत में कॉफ़ी वनों के साथ उगाई जाती है इस लिए यह उद्योग पारिस्थितिकी की दृष्टि से संतुलित है । उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में भारत से कॉफ़ी निर्यात दोगुना हो गया है।
श्री अग्रवाल ने कॉफ़ी की खेती के क्षेत्र में और अधिक विविधीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि तेज़ी से बढ़ते मध्यम वर्ग के साथ, कॉफ़ी की घरेलू खपत में वृद्धि केवल समय की बात है। वाणिज्य सचिव ने यह भी कहा कि कॉफ़ी में मूल्यवर्धन हो रहा है और नए उद्यमी इंस्टेंट कॉफ़ी और स्पेशलिटी कॉफ़ी जैसे क्षेत्रों में इस क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने निरंतर नवाचार और मूल्य संवर्धन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि मसालों की भूमि होने के नाते, भारत में कॉफ़ी के क्षेत्र में नवाचार की अपार संभावनाएँ हैं।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कॉफ़ी निर्यात के अलावा, "ब्रांड इंडिया" पर काम करना और देश को वैश्विक बाज़ार में मज़बूती से स्थापित करना भी महत्वपूर्ण है।
यह आयोजन भारत-ईएफटीए व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (टेपा) के कार्यान्वयन के अवसर के साथ मेल खाता है। आज ही से लागू यह समझौता भारतीय कॉफ़ी को स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे और आइसलैंड के प्रीमियम बाज़ारों तक पहुँचने के नए अवसर प्रदान करने वाला है है।
ईएफटीए सदस्य देशों में, स्विट्ज़रलैंड और नॉर्वे महंगी किस्म की कॉफी के बाजार हैं जहाँ उच्च गुणवत्ता वाली कॉफ़ी की अच्छी माँग है। व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता ईएफटीए समूह के बाजारों में भारतीय कॉफ़ी के लिए सबसे अनुकूल पहुँच प्रदान कर सकता है। यह समझौता कॉफ़ी निर्यातकों को स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे और आइसलैंड के प्रीमियम बाज़ारों तक पहुँचने में मदद कर सकता है, जिससे भारत की उच्च गुणवत्ता वाली और छाया में उगाई गई, हाथ से चुनी गई और धूप में सुखाई गई कॉफ़ी को ईएफटीए बाज़ार में स्थापित करने का अवसर मिलेगा।
स्विट्जरलैंड 14.5 करोड़ डॉलर, नॉर्वे 2.7 करोड़ डॉलर और आइसलैंड 30 लाख डॉलर मूल्य की कॉफ़ी का आयात करता है। इनका सम्मिलित आयत वैश्विक कॉफ़ी आयात का लगभग 3 प्रतिशत है।
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