धमतरी , दिसंबर 25 -- छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के टाइगर रिजर्व क्षेत्र अंतर्गत वनांचल ग्राम पंचायत खल्लारी में शिक्षा व्यवस्था की गंभीर तस्वीर सामने आई है। यहां आदिवासी अंचल के बच्चों के लिए स्कूल तो संचालित किए जा रहे हैं लेकिन पक्के स्कूल भवन के अभाव में नौनिहालों को झोपड़ियों में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ रहा है। हालात ऐसे हैं कि बच्चों का भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा है।
ग्राम पंचायत खल्लारी के आश्रित ग्राम गाताबहारा की प्राथमिक शाला में वर्तमान में 14 बच्चे अध्ययनरत हैं। यहां पहले एक स्कूल भवन था, जो अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है। भवन की छत (स्लैब) से लगातार प्लास्टर झड़ रहा है, दीवारों में जगह-जगह दरारें आ गई हैं और बारिश के पानी की के कारण कभी भी भवन के गिरने का खतरा बना हुआ है। सुरक्षा को देखते हुए बच्चों को उस भवन में बैठाना संभव नहीं है।
गांव में कोई अन्य सरकारी भवन उपलब्ध न होने के कारण ग्रामीणों ने स्वयं लकड़ी और अन्य साधनों से एक अस्थायी झोपड़ी बनाकर वहीं स्कूल का संचालन शुरू किया है।
वनांचल क्षेत्र में झोपड़ी में स्कूल चलने से बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंताएं हैं। जंगल और खुली जगह के बीच संचालित हो रहे इन स्कूलों में जहरीले सांप और कीड़े-मकोड़ों का खतरा हमेशा बना रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि किसी बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता।
इसी तरह ग्राम पंचायत खल्लारी के ही दूसरे मोहल्ले, आश्रित ग्राम चमेदा में भी स्कूल भवन पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुका है। मजबूरी में ग्रामीणों ने गांव के चौक पर झोपड़ी बनाकर बच्चों की पढ़ाई जारी रखी है। ग्रामीणों का दर्द है कि वनांचल क्षेत्र होने के कारण प्रशासन की ओर से यहां कोई ठोस ध्यान नहीं दिया जाता। न सड़क की सुविधा है, न पुल, न ही नियमित बिजली की व्यवस्था।
ग्रामीणों ने बताया कि तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए खुद पहल की है, ताकि किसी भी तरह बच्चों की शिक्षा बाधित न हो। उनका कहना है कि यदि समय रहते स्कूल भवन का निर्माण नहीं हुआ, तो बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी सुरक्षा भी बड़े खतरे में पड़ सकती है।
इस संबंध में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के.आर. साहू ने कहा कि मामले की जानकारी है और स्थिति का निरीक्षण कर उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। प्राथमिकता के आधार पर आवश्यक कार्रवाई के प्रयास किए जाएंगे।
अब देखना यह है कि शासन-प्रशासन कब तक इस गंभीर समस्या पर संज्ञान लेकर वनांचल के बच्चों को सुरक्षित और सम्मानजनक शिक्षा का अधिकार दिला पाता है।
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