नयी दिल्ली , अक्टूबर 26 -- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश 7 नवंबर को नागरिकों में राष्ट्र भक्ति का संचार करने वाले वंदे मातरम गीत की रचना के 150वें साल में प्रवेश कर रहा है और इसे ऐतिहासिक अवसर बनाने में देशवासियों को एकजुट होकर अपना योगदान देने की ज़रूरत है।

श्री मोदी ने रविवार को आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' की 127वीं कड़ी में कहा कि 150 साल पहले जब बंकिमचंद्र चटर्जी ने वंदेमातरम गीत की रचना की थी तो इसने देशवासियों में ऊर्जा का ऐसा संचार कर दिया था कि यह अमूर्त भावना को साकार स्वर देने वाला गीत बनकर राष्ट्र प्रेम का सतत प्रेरणा स्रोत बन गया है। इसने देशवासियों के हृदय में देश भक्ति की भावनाओं का उफान लाकर खड़ा कर दिया था।

प्रधानमंत्री ने कहा "अब 'मन की बात' में एक ऐसे विषय की बात, जो हम सबके दिलों के बेहद करीब है। ये विषय है हमारे राष्ट्र गीत का-भारत का राष्ट्र गीत यानी 'वन्दे मातरम्'। एक ऐसा गीत, जिसका पहला शब्द ही हमारे हृदय में भावनाओं का उफान ला देता है। 'वन्देमातरम्' इस एक शब्द में कितने ही भाव हैं, कितनी ऊर्जाएं हैं। सहज भाव में ये हमें माँ-भारती के वात्सल्य का अनुभव कराता है। यही हमें माँ-भारती की संतानों के रूप में अपने दायित्वों का बोध कराता है। अगर कठिनाई का समय होता है तो 'वन्देमातरम्' का उद्घोष 140 करोड़ भारतीयों को एकता की ऊर्जा से भर देता है।"उन्होंने कहा कि राष्ट्रभक्ति, माँ-भारती से प्रेम, यह अगर शब्दों से परे की भावना है तो 'वन्दे मातरम्' उस अमूर्त भावना को साकार स्वर देने वाला गीत है। इसकी रचना बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी ने सदियों की गुलामी से शिथिल हो चुके भारत में नए प्राण फूंकने के लिए की थी। 'वन्दे मातरम्' भले ही 19वीं शताब्दी में लिखा गया था लेकिन इसकी भावना भारत की हजारों वर्ष पुरानी अमर चेतना से जुड़ी थी। वेदों ने जिस भाव को 'माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या:'कहकर भारतीय सभ्यता की नींव रखी थी। बंकिमचंद्र जी ने 'वन्दे मातरम्' लिखकर मातृभूमि और उसकी संतानों के उसी रिश्ते को भाव विश्व में एक मंत्र के रूप में बांध दिया था।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित