हैदराबाद , दिसंबर 19 -- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को कहा कि लोक सेवा आयोगों को न केवल अवसर की समानता के संवैधानिक आदर्श का पालन करना चाहिये बल्कि ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए परिणामों की समानता प्राप्त करने की भी कोशिश करनी चाहिये।

राष्ट्रपति ने हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में तेलंगाना लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के मौके पर कहा कि संविधान निर्माताओं ने संविधान का एक पूरा भाग सेवाओं एवं लोक सेवा आयोगों को समर्पित किया है, जो संघ एवं राज्य स्तर पर उनकी महत्वपूर्ण भूमिकाओं को रेखांकित करता है।

राष्ट्रपति ने सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय के संवैधानिक आदर्शों का हवाला देते हुए कहा कि लोक सेवा आयोग समानता एवं निष्पक्षता को बढ़ावा देने में परिवर्तनकारी एजेंट का कार्य करते हैं। उन्होंने इस कहा कि "स्थायी कार्यपालिका" में कार्यरत सिविल सेवकों की सत्यनिष्ठा, संवेदनशीलता एवं सक्षमता प्रभावी शासन एवं जन-केंद्रित नीतियों को लागू करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि कौशल की कमियों को प्रशिक्षण द्वारा पूरा किया जा सकता है लेकिन सत्यनिष्ठा की कमी से समझौता नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे ऐसी चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं जिन पर काबू पाना असंभव हो सकता है।

राष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि युवा सिविल सेवकों को हाशिए पर रह रहे एवं कमजोर वर्ग के लोगों की सेवा करने के लिए प्रेरित होना चाहिये। राष्ट्रपति ने लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए कहा कि महिलाओं की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

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