नयी दिल्ली , नवंबर 11 -- दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने तीनों सेनाओं के अभ्यास 'त्रिशूल' के तहत आयोजित युद्धाभ्यास 'अखंड प्रहार' के दौरान कोणार्क कोर की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की।

इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय वायु सेना के साथ तालमेल बिठाकर एकीकृत, बहु-क्षेत्रीय अभियानों को अंजाम देने की सेना की क्षमता का परीक्षण करना है।

वरिष्ठ सेना अधिकारी ने संयुक्त शस्त्र युद्धाभ्यास देखा, जिसमें निर्बाध अंतर-सेवा समन्वय, रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं (टीटीपी) में सुधार, और ड्रोन तथा ड्रोन-रोधी प्रणालियों सहित अगली पीढ़ी की युद्धक्षेत्र तकनीकों का उपयोग प्रदर्शित किया गया।

यह युद्धाभ्यास क्षेत्रीय परिस्थितियों में नए शामिल किए गए प्लेटफार्मों और स्वदेशी नवाचारों के मूल्यांकन के लिए एक वास्तविक समय परीक्षण स्थल के रूप में भी कार्य करता है।

मेजर जनरल सेठ ने बैटल एक्स डिवीजन और कोणार्क कोर के युद्धक्षेत्र नवाचारों की भी समीक्षा की, जिनमें स्वदेशी रूप से निर्मित ड्रोन, ड्रोन-रोधी उपकरण और उन्नत बल सुरक्षा उपाय शामिल थे।

यह पहल आत्मनिर्भरता पर बढ़ते ज़ोर और भारतीय सेना की संरचना स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। सेना कमांडर ने परिचालन तत्परता, प्रौद्योगिकी के नवीन उपयोग और अनुकूलनशीलता के उच्च मानकों के लिए डिवीजनों की सराहना की।

यह युद्धाभ्यास सेना के संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार के जय मंत्र पर ध्यान केंद्रित करने की पुष्टि करता है, और बहु-क्षेत्रीय युद्ध क्षेत्र में तालमेल, प्रौद्योगिकी समावेशन और मिशन-तैयारी के माध्यम से परिवर्तन लाने में दक्षिणी कमान की भूमिका को रेखांकित करता है।

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