नयी दिल्ली , नवंबर 11 -- दिल्ली पुलिस ने लाल किला कार बम विस्फोट मामले में सोमवार को अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंप दी।

जांच अधिकारियों ने दावा किया है कि यह एक आत्मघाती बम हमला था, जिसे कथित तौर पर आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े तीन लोगों ने अंजाम दिया था। शुरुआत में कोतवाली पुलिस ने इस घटना को बम विस्फोट बताते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में उसी दिन गृह मंत्रालय ने मामला एनआईए को सौंप दिया, जो अब जम्मू-कश्मीर और फरीदाबाद पुलिस के साथ समन्वय कर रही है।

सूत्रों के अनुसार कार डॉ. उमर मोहम्मद चला रहा था, जो जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा दर्ज एक अलग मामले में फरार चल रहा था। उन्होंने दावा किया कि फरीदाबाद में पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारियों के बाद उमर ने घबराहट में हमले की योजना बनाई थी। वाहन को पुलवामा निवासी तारिक ने सलमान नाम के एक व्यक्ति से खरीदा था। तारिक ने इसे आमिर को बेच दिया, जिसने इसे डॉ. उमर को सौंप दिया, जो पुलवामा का ही रहने वाला है।

सूत्रों का कहना है कि उमर ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर कार में एक डेटोनेटर लगाया और एएनएफओ (अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल) का इस्तेमाल करके आतंकी वारदात को अंजाम दिया।

विस्फोट से कुछ समय पहले सामने आए एक वीडियो में चालक, एक नकाबपोश व्यक्ति, जिसकी पहचान डॉ. उमर के रूप में हुई है, दिखाई दे रहा है। एनआईए मृतक कार सवार की पहचान की पुष्टि के लिए उसका डीएनए परीक्षण कराएगी।

ऐसा माना जा रहा है कि उमर ही गाड़ी चला रहा था, लेकिन एजेंसियाँ विस्फोट के समय वाहन में मौजूद तीनों संदिग्धों की पहचान करने में जुटी हैं।

सूत्रों ने बताया कि जांचकर्ताओं ने चार हजार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की जाँच की है। उन्होंने संदिग्धों की पहचान के लिए इलाके में सक्रिय मोबाइल फोनों के डंप डेटा की भी जाँच की है।

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