लातेहार, 10अक्टूबर (वार्ता) झारखंड के पलामू व्याघ्र परियोजना दक्षिणी वन प्रमंडल अंतर्गत गारू में चल रहे वन्य प्राणी सुरक्षा सप्ताह सह प्रकृति पूजा सह मेला कार्यक्रम का असर अब धरातल पर दिखने लगा है।

शुक्रवार की रात गारू क्षेत्र के विभिन्न गांवों के करीब दो दर्जन ग्रामीणों ने वन देवी पूजा पंडाल में हवन से पूर्व कुल 23 देसी बंदूकें और सात गुलेल समर्पित कर दिए। ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों और समिति सदस्यों की मौजूदगी में वन देवी के समक्ष यह संकल्प लिया कि अब वे कभी भी जंगली जानवरों का शिकार नहीं करेंगे, बल्कि पेड़-पौधों और वन्य जीवों की रक्षा करेंगे।

इस अवसर पर दक्षिणी वन प्रमंडल के उप निदेशक कुमार आशीष और रेंजर उमेश कुमार दुबे मौजूद थे। अधिकारियों ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से चल रहे कार्यक्रम में कथा वाचकों द्वारा जंगल, वन्य जीव और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर प्रवचन दिया जा रहा था। इन प्रवचनों से प्रभावित होकर ही ग्रामीणों ने स्वेच्छा से हथियार डालने का निर्णय लिया।

उप निदेशक ने आज कहा कि यह ग्रामीणों की सोच में सकारात्मक बदलाव का संकेत है। उन्होंने कहा, जो लोग कभी वन विभाग के खिलाफ अवैध गतिविधियों में शामिल थे, अब वे पश्चाताप कर संरक्षण के पक्ष में खड़े हो रहे हैं। यह आने वाले दिनों में बड़े परिणाम देगा।

सूत्रों के अनुसार गारू और महुआडांड क्षेत्र के सुरकुमी से चार, गुटवा से एक, काबरी और बारीबंद से एक-एक समेत अन्य गांवों के ग्रामीणों ने हथियार समर्पित किए। ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने कभी सुरक्षा के लिए हथियार रखे थे, मगर अब उन्हें उसकी आवश्यकता महसूस नहीं होती। वन देवी पूजा समिति के अध्यक्ष मंगल उरांव ने इसे समाज के लिए अनुकरणीय कदम बताते हुए कहा कि यह बदलाव दिखाता है कि प्रकृति पूजा और सामाजिक संवाद से भी संरक्षण की नई राह बन सकती है।

इधर ग्रामीणों द्वारा रात में हथियार डालने की घटना पूरे गारू इलाके में चर्चा का विषय बन गई है।

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