नयी दिल्ली , अक्टूबर 03 -- केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल कविन्दर गुप्ता ने शुक्रवार को लद्दाख की मौजूदा कानून-व्यवस्था और समग्र सुरक्षा परिदृश्य का आकलन करने के लिए एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।

सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के आमरण अनशन, प्रदेश में बवाल-हिंसा और इससे पहले 26 सितंबर को लद्दाख में राज्य की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया गया था और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेजने के बाद से केन्द्रशासित प्रदेश अशांत है। सीमावर्ती प्रदेश होने के कारण यहां की सुरक्षा-व्यवस्था का विशेष ख्याल रखना होता है।

श्री गुप्ता ने कहा, "पिछले चार दिनों से सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक लोगों और वाहनों की आवाजाही हो रही है। वाहन सामान्य रूप से चल रहे हैं। आज भी, व्यावसायिक वाहनों को चलने की अनुमति दी गयी है। आठवीं कक्षा तक के सभी शैक्षणिक केंद्र खुल गए हैं। इसलिए, एक-दो दिन बाद, सब कुछ पूरी तरह से सामान्य हो जाएगा। गत 24 सितंबर की घटना वास्तव में दर्दनाक और दुखद थी, और ऐसा नहीं होना चाहिए था। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इसकी पुनरावृति न हो।"श्री वांगचुक के बारे में उन्होंने कहा, "कार्रवाई सबूतों के आधार पर की गयी है। अदालत या कहीं और जाना उनका अधिकार है। यह मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है, इसलिए यह ठीक है लेकिन कार्रवाई सबूतों के आधार पर ही की जाएगी..."उन्होंने कहा, "कई लोगों को रिहा कर दिया गया है। जमानत मिल गयी है और जो दोषी पाए जाएंगे, उन पर अंततः कार्रवाई होगी। हमने मजिस्ट्रेट जांच शुरू कर दी है। यह एक संवेदनशील क्षेत्र है, एक सीमावर्ती प्रदेश है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों... बातचीत एक माध्यम है, और बातचीत से ही चीजें सामने आ सकती हैं।

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