विनय कुमार सेपटना ,03नवंबर (वार्ता) बिहार विधानसभा चुनाव के सबसे महत्वपूर्ण मुकाबलों में एक लखीसराय सीट पर चुनावी रण में भाजपा और कांग्रेस एक दुसरे के सामने सीधी टक्कर में है।

भाजपा के इस गढ़ में एक बार फिर कमल खिलाने की जिम्मेदारी उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा के उपर है, जो लगातार 2010 से यहां निर्वाचित होते रहे हैं। लखीसराय एक सामान्य सीट है जो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह विधानसभा क्षेत्र हलसी, बड़हिया और रामगढ़ प्रखंडों को मिलाकर बना है। अब तक यहां हुए चुनावों में भाजपा का दबदबा साफ तौर पर देखने को मिला है। यह दबदबा इस बार भी कायम रहेगा या नहीं, इसका फैसला 6 नवंबर को मतपेटियों में कैद हो जाएगा और 14 नवंबर को मतगणना में इसकी तस्वीर भी साफ हो जाएगी। फिलहाल इस सीट पर भाजपा ने पांच बार, जनता पार्टी और जनता दल ने दो-दो बार तथा कांग्रेस और राजद ने बार अपना परचम लहराया है।

इस सीट पर भाजपा की जीत का छक्का लगाने की जिम्मेदारी बिहार के डिप्टी सीएम और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा पर है, जिनकी गिनती भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में होती है। 2020 यानि पिछले विधानसभा चुनाव में विजय कुमार सिन्हा ने कांग्रेस के अमरेश कुमार को 10 हजार से अधिक मतों से पराजित करते हुए, यहां अपनी जीत का हैट्रिक लगाया था। इस बार उनके चौके को रोकने के लिए कांग्रेस ने एक बार फिर अमरेश कुमार को मैदान में उतारा है, जबकि जनसुराज की मौजूदगी ने लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है।

लखीसराय विधानसभा सीट पर बीजेपी का वर्चस्व पिछले डेढ़ दशक से कायम है। विजय कुमार सिन्हा ने 2010, 2015 और 2020 में लगातार जीत हासिल की है। इस बार भी उनके सामने विपक्ष से चुनौती तो है, लेकिन भाजपा का मजबूत संगठन और क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता उन्हें बढ़त दिला सकती है। बिहार की ज्यादातर सीटों का परिणाम जातीय समीकरण के इर्द गिर्द घुमता है। लखीसराय भी उन सीटों में शामिल है। यहां करीब तीन लाख 90 हजार मतदाता हैं। इनमें करीब 16 फीसदी मतदाता अनुसूचित जाति और 04 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय के हैं। यहां यादवों का भी बाहुल्य है, लेकिन फैसले में भूमिहार मतदाताओं की भूमिका हमेशा से प्रभावी रही है, जिसका फायदा विजय सिन्हा को मिलता रहा है, जबकि कुर्मी और पासवान हार जीत में निर्णायक किरदार निभाते रहे हैं।

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