टिहरी गढ़वाल , नवंबर 27 -- उत्तराखंड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के निर्माण में हो रही भारी ब्लास्टिंग से बल्दियाखान गांव के कई मकानों में नई दरारें उभर आई हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि ब्लास्टिंग से उनके घरों को दोबारा नुकसान हो रहा है। एक तरफ मकान कमजोर होते जा रहे हैं और दूसरी तरफ टनल के ऊपर बने मकानों के धंसने का डर बना हुआ है। इस सम्बन्ध में गुरुवार को ग्रामीण और प्रशासन के बीच बातचीत हुई।

उल्लेखनीय है कि करीब तीन से चार साल पहले भी टनल निर्माण के दौरान मकानों पर दरारें पड़ी थीं। उस समय ग्रामीणों ने तीन सूत्रीय मांगों के साथ आंदोलन किया था। उनकी मुख्य मांग विस्थापन थी।

कई दौर की वार्ताओं के बाद रेलवे और स्थानीय प्रशासन ने ग्रामीणों को मरम्मत के लिए धनराशि दी थी। ग्रामीणों ने अपने सामने मकानों की मरम्मत करवाई थी, लेकिन दो-ढाई साल बाद दरारें फिर बढ़ने लगीं।

ग्रामीणों का कहना है कि अब केवल मरम्मत से समस्या हल नहीं होगी। इसलिए वे लगातार विस्थापन की मांग कर रहे हैं। इसी मांग को लेकर ग्रामीणों ने 25 नवंबर से गूलर में रेलवे टनल के मुहाने पर अनिश्चितकालीन आंदोलन का अल्टीमेटम दिया था।

ग्रामीणों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम आशीष घिल्डियाल ने ग्रामीणों को वार्ता के लिए नरेंद्र नगर स्थित कार्यालय में बुलाया। आज सामाजिक कार्यकर्ता विमला रयाल के नेतृत्व में ग्रामीणों का प्रतिनिधिमंडल एसडीएम से मिला।

ग्रामीणों ने कहा कि मरम्मत के बाद भी मकानों में गहरी दरारें आ रही हैं। भविष्य में जब टनल से ट्रेनें गुज़रेंगी तो कंपन बढ़ेगा और मकान और ज्यादा प्रभावित होंगे। इसलिए विस्थापन ही सुरक्षित विकल्प है।

श्री आशीष घिल्डियाल ने आश्वासन दिया कि 10 दिनों के भीतर गांव में जियोलॉजी विभाग, लोनिवि, राजस्व विभाग और रेलवे विकास निगम का संयुक्त सर्वे कराया जाएगा। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।

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