नयी दिल्ली , अक्टूबर 10 -- राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को रूस के कलमीकिया गणराज्य में आयोजित प्रदर्शनी में शामिल किया जाएगा जिसमें 11 वरिष्ठ भारतीय भिक्षुओं का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी जाएगा।

यह प्रतिनिधिमंडल स्थानीय श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देगा और क्षेत्र की बौद्ध बहुल आबादी के लिए धार्मिक सेवा का संचालन करेगा।

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा 11 से 18 अक्टूबर तक रूसी गणराज्य में पहली बार आयोजित इस पवित्र अवशेष प्रदर्शनी में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ, राष्ट्रीय संग्रहालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र सहयोग कर रहा है। इस क्षेत्र में लद्दाख के श्रद्धेय 19वें बौद्ध भिक्षु और राजनयिक कुशोक बकुला रिनपोछे ने मंगोलिया में बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद उन्होंने रूस के तीन क्षेत्रों अर्थात् बुर्यातिया, कलमीकिया और तुवा में बुद्ध धर्म में रुचि को पुनः शुरू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

पवित्र अवशेषों को एलिस्टा के मुख्य बौद्ध मठ में स्थापित किया जाएगा। इसे "शाक्यमुनि बुद्ध का स्वर्णिम निवास" भी कहा जाता है। यह एक महत्वपूर्ण तिब्बती बौद्ध केंद्र है जिसे 1996 में जनता के लिए खोला गया था और यह कलमीक मैदानों से घिरा हुआ है।

पवित्र अवशेषों के साथ अन्य अधिकारी और बौद्ध शिक्षाविद भी होंगे। पवित्र अवशेषों को राष्ट्रीय संग्रहालय से वरिष्ठ भिक्षुओं द्वारा पूर्ण धार्मिक पवित्रता और प्रोटोकॉल के साथ अत्यंत श्रद्धापूर्वक भारतीय वायु सेना के एक विशेष विमान द्वारा कलमीकिया ले जाया जाएगा।

कलमीकिया ऐसा क्षेत्र है जिसकी विशेषता विशाल घास के मैदान हैं, इसमें रेगिस्तानी क्षेत्र भी है और यह कैस्पियन सागर की सीमा से लगा रूस के यूरोपीय क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित है। कलमिक लोग ओइरात मंगोलों के वंशज हैं जो 17वीं शताब्दी के आरंभ में पश्चिमी मंगोलिया से आकर बसे थे। उनका इतिहास खानाबदोश जीवन शैली से गहराई से जुड़ा है जिसका उनकी संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वे यूरोप में एकमात्र जातीय समूह हैं जो महायान बौद्ध धर्म का पालन करते हैं। कलमीकिया में तीसरा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध मंच 24 से 28 सितंबर तक राजधानी एलिस्टा में आयोजित किया गया था।

आधिकारिक सूचना के अनुसार हाल ही में बुद्ध के पवित्र अवशेषों को मंगोलिया, थाईलैंड और वियतनाम ले जाया गया है। राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थित पिपरहवा अवशेषों को वर्ष 2022 में मंगोलिया ले जाया गया था जबकि साँची में स्थित बुद्ध और उनके दो शिष्यों के पवित्र अवशेषों को वर्ष 2024 में थाईलैंड में प्रदर्शनी के लिए ले जाया गया। इस वर्ष सारनाथ से बुद्ध के पवित्र अवशेषों को वियतनाम ले जाया गया। रूस के लिए ये अवशेष नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय की 'बौद्ध गैलरी' में पूजा के लिए रखे गए हैं। कलमीकिया ले जाए जा रहे पवित्र अवशेष राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थित इसी परिवार के अवशेष हैं।

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