जयपुर, सितम्बर 30 -- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम ने राष्ट्र सेवा ही संघ का धर्म और संविधान ही सबसे बड़ा ग्रंथ बताते हुए कहा है कि संघ का कार्य विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ता रहा है और वह किसी का विरोधी नहीं बल्कि समाज परिवर्तन और सत्य-धर्म का कार्य है।

श्री निम्बाराम मंगलवार को यहां सम्पन्न विजयादशमी उत्सव के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा किडा हेडगेवार ने उपहास और विरोध का सामना करते हुए भी संगठन की नींव रखी। एक डॉ हेडगेवार की प्रेरणा से आज लाखों स्वयंसेवक समाज के कार्य के लिए तैयार खड़े हैं। संघ किसी का विरोधी नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन और सत्य-धर्म का कार्य है। राष्ट्र सेवा ही हमारा धर्म है और भारत माता ही हमारी आराध्य। हमारे लिए सबसे बड़ा ग्रंथ संविधान है।

उन्होंने कहा कि 1925 की विजयादशमी को प्रारंभ हुआ संघ आज अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है। अपने 100 वर्षों की यात्रा में संघ ने यह सिद्ध किया कि संघ का कार्य किसी व्यक्ति की जय-जयकार नहीं बल्कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज का है, सत्य और धर्म का कार्य है। संघ का अंतिम लक्ष्य है, भारत माता की जय और राष्ट्र का परम वैभव।

उन्होंने संघ के "पंच परिवर्तन" - समरसता, स्व का आग्रह, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण और नागरिक शिष्टाचार का उल्लेख करते हुए कहा कि यही समाज परिवर्तन का आगे का लक्ष्य लेकर संघ बढ़ रहा। संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में लगभग 600 विद्यार्थी, मातृशक्ति, शिक्षक एवं स्वयंसेवक शामिल हुए।

कार्यक्रम के निर्धारित समय सायं पांच बजे से तेज वर्षा शुरू होने के कारण निर्धारित स्थान पर उपस्थित स्वयंसेवकों एवं विद्यार्थियों को लगभग एक घंटे तक वर्षा में भींगना पड़ा।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि उत्तरप्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक गोपाल मीणा ने कहा कि संघ समाज में निर्भीकता, सदाचार, धर्मनिष्ठा, देशभक्ति और समरसता के भावना के साथ कार्य करता है। संघ की जीवनशैली और संगठनात्मक दृष्टि समाज के लिए प्रेरणा दायक है।

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