नयी दिल्ली, सितंबर 26 -- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को भूवैज्ञानिकों से खनिजों के खनन के साथ भू-पर्यावरणीय स्थिरता पर भी ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। श्रीमती मुर्मु ने यह बात राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार-2024 समारोह में अपने संबोधन में कही। ज्ञात रहे कि भूविज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए भूवैज्ञानिकों को यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि खनिजों ने मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पृथ्वी की सतह पर पाए जाने वाले खनिजों ने मानव जीवन का आधार तैयार किया है और हमारे व्यापार एवं उद्योग को आकार दिया है। पाषाण युग, कांस्य युग और लौह युग जैसे मानव सभ्यता के विकास के प्रमुख चरण खनिजों के नाम पर रखे गए हैं। लोहे और कोयले जैसे खनिजों के बिना औद्योगीकरण की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि खनन आर्थिक विकास के लिए संसाधन प्रदान करता है और रोज़गार के व्यापक अवसर पैदा करता है। हालांकि, इस उद्योग के कई प्रतिकूल प्रभाव भी हैं, जिनमें निवासियों का विस्थापन, वनों की कटाई और वायु एवं जल प्रदूषण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए खनन प्रक्रिया के दौरान सभी नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। खदानों को बंद करते समय भी उचित प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि महासागरों की गहराई में कई बहुमूल्य खनिजों का भंडार है। उन्होंने वैज्ञानिकों से ऐसी प्रौद्योगिकियां विकसित करने का आग्रह किया जो समुद्री जैव विविधता को कम से कम हानि पहुंचाते हुए राष्ट्र के लाभ के लिए समुद्र तल के नीचे के संसाधनों का दोहन कर सकें।

राष्ट्रपति ने कहा कि भूवैज्ञानिकों की भूमिका केवल खनन तक ही सीमित नहीं है। भू-पर्यावरणीय स्थिरता पर खनन के प्रभाव पर भी उन्हें ध्यान देने की आवश्यकता है।

श्रीमति मुर्मु ने खान मंत्रालय के स्थिरता और नवोन्मेषण के लिए प्रतिबद्धता और खनन उद्योग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), मशीन लर्निंग और ड्रोन-आधारित सर्वेक्षणों को बढ़ावा देने की सराहना की।

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