आबूरोड़ , अक्टूबर 05 -- गुजरात एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने रविवार को राजस्थान के आबूरोड़ में कहा कि राष्ट्रनिर्माण में गुरुकुलों की भूमिका महत्वपूर्ण है। आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय आबूपर्वत की नई शाखा स्वामी धर्मानन्द विद्यापीठ गांव आवल, आबूरोड़ में भव्य शिलान्यास समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि श्री देवव्रत इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे और उन्होंने सामवेद पारायण महायज्ञ की पूर्णाहुति प्रदान की। आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय आबूपर्वत ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं संचालक स्वामी ओमानन्द सरस्वती ने यह जानकारी दी।
राजकीय महाविद्यालय सिरोही के संस्कृत प्रोफेसर डॉ. रामनारायण शास्त्री के ब्रह्मत्व में गुरुकुल ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष रामेश्वरजसमतिया, कनिका बिसला, राजबाला डागर विशेष रूप से उपस्थित रहे। वेद मंत्रों का पाठ गुरुकुल आबूपर्वत के स्नातक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के संस्कृत प्रोफेसर डॉ. अभिमन्यु, प्रधानाचार्य कीर्तिचंद्र शास्त्री, पंडित लाभेन्द्र शास्त्री ने किया।
शिलान्यास विधि पुरोहित प्रोफेसर भावप्रकाश गांधी एवं साक्षी के रुप में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं मनुस्मृति के भाष्यकार प्रोफेसर सुरेन्द्र कुमार, स्वामी विदेह योगी, गुरुकुल के सहयोगी बाबुलाल आर्य की उपस्थिति में राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत के करकमलों द्वारा सम्पन्न हुई। उन्होंने संस्कृत भाषा में लिखित शिलालेख का अनावरण किया।
इस अवसर पर श्री आचार्य देवव्रत ने कहा कि यज्ञ, आयुर्वेद, योग, गौ आधारित प्राकृतिक खेती, गुरुकुलीय शिक्षा,आर्ष ग्रन्थों के अध्यापन एवं सत्संग द्वारा राष्ट्रनिर्माण में हम सब महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। राष्ट्रनिर्माण में गुरुकुलों की भूमिका महर्ण है।
समारोह की अध्यक्ष स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती, कुलपति- गुरुकुल गौतम नगर नई दिल्ली तथा महंत- दयाराम गादीपति राजाराम आश्रम, शिकारपुरा ने सामाजिक जागरूकता में गुरुकुल के योगदान पर प्रकाश डाला।
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