रायपुर , अक्टूबर 02 -- विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने गुरुवार को अपने शताब्दी वर्ष की शुरुआत की। राजधानी रायपुर में आज सुबह गोविंद बालिका स्कूल के खेल मैदान से भव्य पथ संचलन निकाला गया। 500 से अधिक स्वयंसेवक कंधे पर लाठियां रख कर शहर के मुख्य मार्गों से गुजरे। जगह-जगह पुष्पवर्षा और जय श्रीराम के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा। कई स्थानों पर लोगों ने फूल बरसाकर स्वागत किया।

पथ संचलन गणेश गेट, मुख्य बाजार, अस्पताल रोड, मेला चौक, बाईपास और बैंक चौक से होता हुआ शहर के गली-मोहल्लों तक पहुंचा। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, मातृशक्ति, दुर्गावाहिनी समेत विभिन्न हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इसमें भागीदारी निभाई। वहीं, पुलिस लाइन में पारंपरिक शस्त्र पूजन कर विजयादशमी पर सुरक्षा और कर्तव्यनिष्ठा का संकल्प लिया गया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव छत्तीसगढ़ में वर्ष 1929 में रायपुर के तिलक नगर से रखी गई थी। आज प्रदेश में 1855 सक्रिय शाखाएं 1460 स्थानों पर संचालित हो रही हैं। संघ के प्रांत संघचालक टोप लाल वर्मा ने बताया कि इस शताब्दी वर्ष में संगठन उन वर्गों तक पहुंचना चाहता है जो RSS को जानते तो हैं, लेकिन अब तक जुड़ नहीं पाए हैं।

इस विजयादशमी से लेकर अगली विजयादशमी तक संघ सात बड़े कार्यक्रमों के माध्यम से समाज से जुड़ाव बढ़ाएगा जिसमें पहला कार्यक्रम विजयादशमी उत्सव आज संपन्न हुआ है अब आगामी वर्ष 6 प्रमुख कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगें -1. गृह संपर्क अभियान - नवंबर 2025 से जनवरी 2026 तक घर-घर पहुंच, संघ साहित्य और भारत माता का चित्र भेंट। प्रदेश में 50 लाख घरों तक पहुंचने की योजना।

2. जन गोष्ठी - विभिन्न प्रोफेशन के लोगों से संवाद, जिसमें जनसंख्या नियंत्रण और जाति जनगणना जैसे मुद्दे उठाए जाएंगे।

3. हिंदू सम्मेलन - छत्तीसगढ़ में 2000 स्थानों पर सम्मेलन, खासकर गांवों पर ध्यान।

4. सद्भाव बैठक - सामाजिक कार्यकर्ताओं, संतों और संस्थाओं के साथ बैठकें, सांस्कृतिक मूल्यों के साथ आधुनिक जीवन शैली पर चर्चा।

5. युवा सम्मेलन और इन्फ्लुएंसर मीट - जेनरेशन जेड को संगठन से जोड़ने के लिए बड़े स्तर पर कार्यक्रम।

6. शाखा विस्तार - 100 से अधिक गांवों में नई शाखाएं खोलने का लक्ष्य।

संघ इस शताब्दी वर्ष में समाज के बीच "पंच परिवर्तन" का संदेश लेकर आया है -कुटुंब प्रबोधन : संयुक्त परिवार की परंपरा को जीवित रखनापर्यावरण संरक्षण : पानी बचाना, पॉलिथीन से बचना और पेड़ लगानासामाजिक समरसता : जाति-पांति से ऊपर उठकर एकता का संदेशनागरिक कर्तव्य : देशहित में जिम्मेदारी निभाने की सीखस्व का बोध : भारतीयता और सांस्कृतिक गौरव का स्मरणसंघ मानता है कि डिजिटल युग की सबसे युवा और जागरूक पीढ़ी 'जेनरेशन जेड' (1997-2012 जन्म वाले युवा) समाज में परिवर्तन की धुरी है। इसी वजह से सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर मीट और युवा सम्मेलन इसके शताब्दी वर्ष के खास आकर्षण रहेंगे।

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