रायगढ़ , अक्टूबर 16 -- छत्तीसगढ़ में स्थित रायगढ़ जिले के खरसिया ब्लॉक में आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत चल रहे एक स्कूल में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। मदर इंडिया कान्वेंट स्कूल के संचालक पर पिछले पांच वर्षों में शासन से 22 लाख रुपये लाभ उठाने का आरोप है। शिक्षा विभाग की जांच में खुलासा हुआ कि स्कूल जमीन पर संचालित ही नहीं हो रहा है और बच्चों का नाम मात्र पंजीकृत था।
जांच के दौरान जब शिक्षा विभाग के लोग पहुंचे तो ना तो स्कूल दिखा और ना ही बच्चे। स्कूल की वास्तविक संचालना तीन किलोमीटर दूर गांंडा बोरिदा गांव के मिट्टी के मकान में हो रही थी। मकान के बाहर स्कूल का फ्लेक्स लगा हुआ था और भीतर केवल दो शिक्षिकाएं बैठी थीं। बाद में स्कूल संचालक घनश्याम टंडन मौके पर पहुंचे और अधिकारियों को जांच के लिए चुनौती भी दी।
गौरतलब है कि,जुलाई 2025 में रायगढ़ के कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत जांच के निर्देश दिए थे। इसके बाद खरसिया ब्लॉक के शिक्षा अधिकारी मदर इंडिया कान्वेंट स्कूल की जांच करने पहुंचे। पता चला कि बड़े देवगांव में स्कूल संचालित ही नहीं हो रहा है, जबकि जिन बच्चों के नाम से पिछले पांच वर्षों में 22 लाख रुपये लिए गए थे, वे बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं।
टंडन का कहना है कि 22 लाख रुपए आईटी के तहत प्राप्त करने का आरोप गलत है। उन्होंने बताया कि शासन के नोडल अधिकारी और दस्तावेजों की जांच के बाद ही राशि उन्हें दी गई। बुधवार को स्कूल पहुंचे तो वहां केवल तीन बच्चे थे, जो स्वास्थ्य खराब होने के कारण उपस्थित नहीं हुए। अटेंडेंस रजिस्टर में आठ बच्चों के नाम लिखे थे, जिन्हें संचालक ने बताया कि परिजनों के नाम लिखने को कहा गया था।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी एल एन पटेल ने आज बताया कि बड़े देवगांव में स्कूल का संचालन जमीन पर नहीं हो रहा था। गांंडा बोरदी गांव में भी झोपड़ी जैसे मकान में स्कूल का संचालन दिखा। जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. के वी राव ने कहा कि शिकायत पर जांच चल रही है और दोषी पाए जाने पर तत्काल एफआईआर दर्ज की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों का नाम आरटीई के तहत पंजीकृत था लेकिन वे स्कूल में पढ़ाई नहीं कर रहे थे।
मामला केवल बड़े देवगांव और गांंडा बोरदी तक सीमित नहीं है। खरसिया ब्लॉक के बर्रा और शक्ति जिले के अड़भार के साथ टेरम गांव में भी स्कूल संचालन का भ्रामक खेल सामने आया है।
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