लखनऊ , नवम्बर 25 -- उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि ''हमारे राम भेद से नहीं, भाव से जुड़ते हैं। उनके लिए व्यक्ति का कुल नहीं, उसकी भक्ति महत्वपूर्ण है। उन्हें वंश नहीं, मूल्य प्रिय हैं, और उन्हें शक्ति नहीं, सहयोग महान लगता है।''उप मुख्यमंत्री मंगलवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा कि नव्य-दिव्य राम मंदिर का प्रांगण आज केवल भक्ति और आध्यात्मिकता का केंद्र नहीं, बल्कि भारत के सामूहिक सामर्थ्य, सांस्कृतिक उत्थान और सामाजिक समरसता का प्रतीक बन रहा है। उन्होंने कहा कि यह परिसर आने वाली पीढ़ियों के लिए ''चेतना-स्थली'' की तरह देश को प्रेरित करेगा।
श्री मौर्य ने कहा कि राम मंदिर परिसर में निर्मित सप्त मंदिर भारतीय दर्शन और लोक-आस्था की विविध धाराओं को एक सूत्र में पिरोते हैं। उन्होंने विशेष रूप से माता शबरी के मंदिर का उल्लेख किया, जो जनजातीय समाज के अथाह प्रेमभाव, करुणा और अतिथि-सत्कार की परंपरा का सशक्त प्रतीक है। इसी प्रकार निषादराज का मंदिर उस पवित्र मित्रता की स्मृति को संजोता है, जहाँ साधन से अधिक साध्य और भावना को महत्व दिया गया।
उन्होंने कहा कि एक ही स्थान पर माता अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य और संत तुलसीदास की उपस्थिति, भारतीय ऋषि-परंपरा, ज्ञान परंपरा और भक्ति साहित्य की अखंड परंपरा का अद्वितीय संगम है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि रामलला के दर्शन के साथ-साथ इन सभी महान ऋषियों के दर्शन एक ही पवित्र भूमि पर होना अपने आप में एक ऐतिहासिक और पावन अनुभव है।
उन्होंने यह भी बताया कि परिसर में स्थापित जटायू जी और गिलहरी की मूर्तियाँ बड़े से बड़े संकल्पों की प्राप्ति में छोटे-छोटे योगदानों के महत्व को दर्शाती हैं। ''यह संदेश अत्यंत सरल है छोटा हो या बड़ा, हर प्रयास किसी महान कार्य को पूर्ण करने का आधार बनता है।''उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में सरकार ने समाज के हर वर्ग महिला, दलित, पिछड़े, अति-पिछड़े, आदिवासी, वंचित, किसान, श्रमिक और युवा को विकास की मुख्यधारा में आगे रखा है। "विकसित भारत का संकल्प 2047 तभी सिद्ध होगा, जब प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक क्षेत्र सशक्त होगा।"धर्मध्वज का उल्लेख करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यह ध्वज मात्र एक औपचारिक प्रतीक नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है। उन्होंने बताया कि इसका भगवा रंग त्याग, ऊर्जा और तप का प्रतीक है; उस पर अंकित सूर्यवंश की कीर्ति और ओम का स्वर भारतीय आध्यात्मिक शक्ति का बोध कराता है, वहीं कोविदार वृक्ष रामराज्य के सद्गुणों और स्थायी समृद्धि का प्रतिरूप है।
उन्होंने कहा, ''यह धर्मध्वज संकल्प है, सफलता है; यह संघर्ष से सृजन की कहानी और संतों की साधना व समाज की सहभागिता का साकार रूप है।'' यह ध्वज यह भी प्रेरणा देगा कि प्राण जाए पर वचन न जाए तथा कर्म और कर्तव्य की प्रधानता ही विश्व का आधार बने। उन्होंने कहा कि यह ध्वज इस भावना को भी पुष्ट करेगा कि समाज में न बैर हो, न भय और सबके लिए शांति, सुख और सद्भाव बना रहे।
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