लखनऊ , अक्टूबर 11 -- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने जगतगुरु स्वामी राम भद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति स्वामी राम भद्राचार्य के खिलाफ एक यू ट्यूब चैनल और अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों पर चलने वाले कथित आपत्तिजनक वीडियो को 48 घंटे में हटाने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक और गूगल एलएलसी को निर्देश दिया कि याचियों से यूआरएल्स लिंक लेकर स्वामी राम भद्राचार्य के खिलाफ कथित आपत्तिजनक सामग्री को 48 घंटे में हटा दें। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को नियत की है। न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश शरद चंद्र श्रीवास्तव व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है।

याचिका में आग्रह किया गया है कि केद्र व राज्य सरकारें विभिन्न इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर लगाम लगाने के लिए नियम बनाएं और उनका सख्ती से पालने कराएं। साथ ही यह भी कहा गया कि गोरखपुर के यू ट्यूबर संपादक शशांक शेखर फेसबुक और इंस्टाग्राम पर चैनल चलाते हैं। वह बीते 29 अगस्त से अपने यू ट्यूब चैनल के साथ साथ अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर स्वामी राम भद्राचार्य के खिलाफ अपमानजनक वीडियो चला रहे थे। कहने के बावजूद न तो उन्होंने वीडियो को हटाया और न ही संबंधित इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों ने ही अपने स्तर से कार्यवाही करके उक्त वीडियो को हटाया। यह वीडियो "राम भद्राचार्य पर खुलासा -16 साल पहले क्या हुआ था" नाम से चलाया जा रहा है।

कहा गया कि स्वामी जी बचपन से ही आंखों से दिव्यांग हैं फिर भी उनकी दिव्यांगता को लेकर अवमाननाजनक कंटेंट्स वाला वीडियो चलाया जा रहा है। इस वीडियो पर तुरंत रोक लगाने का आदेश किया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा था कि पहली नजर में इन कंटेंट्स के खिलाफ दिव्यांगों के लिए कार्य करने वाले स्टेट कमिश्नर की ओर से कार्यवाही करने का मामला बनता है।

कोर्ट ने बीते 17 सितंबर को याचिका पर संज्ञान लेते हुए फेसबुक, इंस्टाग्राम, गूगल और यू टयूब को नोटिस जारी किया था।

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