दंतेवाड़ा , नवंबर 04 -- त्तीसगढ के दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिले में राज्योत्सव-2025 (रजत महोत्सव) के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में स्कूली बच्चों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। तीन दिवसीय राज्योत्सव के दूसरे दिन आयोजित इस कार्यक्रम में लोकनृत्य, समूह गीत और पारंपरिक प्रस्तुतियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिली।

कार्यक्रम की शुरुआत भावनात्मक समूह गीत "माटी मोर महतारी" से हुई, जिसने दर्शकों के भीतर मातृभूमि के प्रति गर्व और अपनापन की भावना को जागृत किया। इसके बाद बच्चों ने "महुआ झरे", "जांवा-जांवा" जैसे पारंपरिक नृत्यों के माध्यम से ग्रामीण जीवन और लोक संस्कृति की सजीवता प्रदर्शित की। "हमर छत्तीसगढ़" पर प्रस्तुत सुआ नृत्य, "जोहार-जोहार", "लाल पोंगर सेवा जोहार" और "बस्तर आदिवासी नृत्य" जैसी प्रस्तुतियों ने मंच पर छत्तीसगढ़ की विविध परंपराओं को जीवंत कर दिया।

कार्यक्रम में बच्चों द्वारा प्रस्तुत गीत "मामान मैयाड तोनी सुंदर मनी नोनी", "दुनिया वाले जाने आदिवासी", "आतरी-चितरी-भतरी", "मोर महतारी" जैसे लोकगीतों ने जनजातीय जीवन की झलक और छत्तीसगढ़ी बोली की मधुरता से समूचे पंडाल को गुंजायमान कर दिया। वहीं "शिव तांडव" की एकल नृत्य प्रस्तुति ने दर्शकों को ऊर्जा और कला का अद्भुत संगम दिखाया।

हल्बी, दोरला, गोंडी समूह गीत, राउत नाचा और शास्त्रीय नृत्य जैसी विविध प्रस्तुतियों ने राज्योत्सव को सांस्कृतिक उत्सव का स्वरूप दे दिया। दर्शकों ने बच्चों की प्रस्तुतियों पर तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया।

इस अवसर पर अपर कलेक्टर राजेश पात्रे, एसडीएम, विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी, शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।

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