जयपुर , अक्टूबर 10 -- राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सहकारिता सशक्त हो रही है और राज्य सरकार सोसायटियों तथा आमजन के हित में सहकारी कानून को अधिक प्रासंगिक बनाते हुए नवीन सहकारी अधिनियम लायेगी और प्रदेश में पन्द्रह अक्टूबर तक आयोजित 'सहकार सदस्यता अभियान' के तहत जनसाधारण को इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों की जानकारी देकर उन्हें इसके प्रति जागरूक किया जा रहा हैं।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित नवीन सहकारी अधिनियम में ऐसे कई महत्वपूर्ण प्रावधान प्रस्तावित किए गए हैं, जिनसे आमजन का सहकारी समितियों पर विश्वास और अधिक सुदृढ़ होगा। राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित नवीन सहकारी अधिनियम वर्तमान में लागू राजस्थान सहकारिता अधिनियम, 2001 का स्थान लेगा।

जिसे वर्तमान परिप्रेक्ष्य के अनुरूप अधिक प्रासंगिक बनाया गया है।

राज्य सरकार ने इस संबंध में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था, जिसने महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, केरल आदि सहकारी आन्दोलन के अग्रणी राज्यों के सहकारी कानूनों का व्यावहारिक अध्ययन कर तथा वरिष्ठ अधिकारियों एवं विशेषज्ञों से चर्चा कर नवीन को-ऑपरेटिव कोड का ड्राफ्ट तैयार किया था। इसमें प्रक्रियाओं के सरलीकरण, अनियमितताओं पर नियंत्रण और त्वरित निस्तारण के साथ ही समितियों की व्यावसायिकता, आपसी सहयोग को सुगम बनाने, समितियों के प्रबंधन में एकाधिपत्य हटाने, लोकतांत्रिक एवं सदस्योन्मुखी प्रबंधन आदि पर विशेष रूप से फोकस किया गया है।

प्रदेश में 2 से 15 अक्टूबर तक आयोजित किए जा रहे 'सहकार सदस्यता अभियान' के तहत जनसाधारण को प्रस्तावित नवीन अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों की जानकारी प्रदान कर उन्हें इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है और अब तक 3 लाख 75 हजार से अधिक लोगों को प्रस्तावित अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी प्रदान की जा चुकी है। नवीन अधिनियम में सहकारी समितियों को स्वयं के तथा सदस्यों के उत्पाद अपने कार्यक्षेत्र से बाहर भी विक्रय किए जाने की छूट दिये जाने तथा सोसायटियों में बाजार से प्रतिस्पर्धा एवं व्यवसाय में वृद्धि के लिए आपसी सहमत शर्तों पर साझेदारी करने के प्रावधान प्रस्तावित किए गए हैं।

इसी प्रकार सहकारिता क्षेत्र के विस्तार और नई सोसायटियों के गठन को गति दिए जाने के लिए सोसाटियों में राज्य सरकार अथवा केन्द्र सरकार द्वारा शेयर पूंजी धारण किए जाने की अधिकतम सीमा समाप्त करने का प्रावधान तथा लोकहित में नई सोसायटियों के गठन के लिए सदस्यों में तदर्थ समिति गठित किए जाने में अवरोध होने पर रजिस्ट्रार द्वारा तीन महीने के लिए तदर्थ समिति गठित किए जाने और उसके बाद उपनियम के अनुसार चुनाव करवाये जाने का प्रावधान भी प्रस्तावित है।

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