जयपुर , दिसम्बर 08 -- राजस्थान सरकार पिछले दो साल से प्रवासी राजस्थानियों की प्रदेश के साथ संबंधों को नए सिरे से परिभाषित कर रही है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने गत वर्ष तीन दिवसीय राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट का आयोजन किया और इस दौरान प्रदेश में पहली बार इन्वेस्टमेंट समिट के तहत ही दस दिसम्बर को प्रवासी राजस्थानी कॉन्क्लेव आयोजित किया गया।

मुख्यमंत्री ने प्रवासी राजस्थानियों के लिए एक विशेष विभाग स्थापित किए जाने और 10 दिसम्बर को प्रवासी राजस्थानी दिवस मनाए जाने की घोषणाएं की थी।

प्रवासी राजस्थानियों से किए इन दोनों ही वादों को मुख्यमंत्री ने पहले प्रवासी राजस्थानी दिवस के आयोजन से पहले पूरा कर दिया है। दरअसल, राज्य सरकार प्रवासियों से सम्बन्धों को मजबूत आधार देने के लिए पांच प्रमुख स्तम्भों एक्सेलरेट, ब्रिज, सेलिब्रेट, ड्राइव और एन्श्योर पर काम कर रही है।

निवेश, व्यापार, ज्ञान के आदान-प्रदान, शोध और सामाजिक सरोकारों में प्रवासी राजस्थानियों के योगदान को गति देने के लिए के लिए राज्य में एक बेहतर इकोसिस्टम का निर्माण किया जा रहा है। प्रवासी राजस्थानी विभाग से जुड़े फैसले के बाद इस क्रम में नॉन-रेजिडेंट राजस्थानी पॉलिसी ऑफ राजस्थान-2025 को भी बीते दिनों मंजूरी दी गई। प्रवासी राजस्थानी निवेश को गति देने के लिए प्रदेश में एनआरआर इन्वेस्टमेंट फेसिलिटेशन सेल स्थापित की जाएगी, जिसमें इन्वेस्टमेंट लायजन ऑफिसर्स निवेश प्रस्तावों को तेजी से धरातल पर लाने के लिए विभागीय समन्वय सुनिश्चित करेंगे।

आगामी समय में राजस्थान फाउंडेशन चैप्टर्स में इन्वेस्टमेंट कॉर्डिनेटर्स नियुक्त किए जाएंगे, जो निवेश लीड्स की पहचान और राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं की जानकारी साझा करेंगे। एनआरआर इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी काउन्सिल्स नीतिगत सुझाव और सेक्टर वार निवेश रोडमैप तैयार करने का काम करेंगी।

कृषि-प्रसंस्करण, टेक्सटाइल, आईटी, पर्यटन से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों के स्टार्टअप्स में प्रवासी निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। चिकित्सा क्षेत्र में पीपीपी मॉडल, ई-मेंटोरशिप, टेलीमेडिसिन, संयुक्त अनुसंधान और नवाचार हब स्थापित कर प्रवासी विशेषज्ञता का लिंकेज चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से जुड़े स्टार्टअप्स से करने के प्रयास किए जाएंगे।

डिजिटल एनआरआर कनेक्ट से एनआरआर और राज्य सरकार के बीच डिजिटल संवाद को बढ़ावा दिया जाएगा। आने वाले समय में वीडियो कॉन्फ्रेंस, डिजिटल संदेश, नियमित न्यूज़लेटर और सोशल मीडिया अपडेट्स से प्रवासी राजस्थानियों को राज्य की नीतियों, योजनाओं, उत्सवों और अवसरों की ताजातरीन जानकारी मिलती रहेगी। राजस्थान फाउंडेशन एक अद्यतन और सुरक्षित डायस्पोरा डाटाबेस तैयार करेगा, जिसमें प्रवासियों की लोकेशन, कौशल, व्यवसाय और निवेश क्षमता जैसी जानकारी संकलित होगी। राजस्थान फाउंडेशन के नए चैप्टर स्थापित करने और मौजूदा चैप्टर्स को सशक्त बनाने की दिशा में भी प्रयास किए जाएंगे। नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए ग्लोबल यूथ कनेक्ट कार्यक्रम के तहत 'जानें अपना राजस्थान' कार्यक्रम, फेमिलराइजेशन टूर तथा शैक्षणिक संस्थानों के साथ नॉलेज एक्सचेंज को बढ़ावा दिया जाएगा।

दुनिया भर में बसे एनआरआर के बीच राजस्थान के तीज-त्यौहार, कला, विरासत और सांस्कृतिक परंपराएं जीवंत बनी रहें, इसके लिए भी राज्य सरकार पहल कर रही है। राजस्थान फाउंडेशन अपने चैप्टर्स के माध्यम से देश-विदेश में तीज, गणगौर, दिवाली, होली, मकर संक्रान्ति सहित विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक त्योहारों का ऑनलाइन और ऑफलाइन आयोजन करेगा। इन कार्यक्रमों में एनआरआर एसोसिएशन्स की सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी। पर्यटन विभाग के सहयोग से वेडिंग टूरिज़्म, इको-टूरिज़्म, ग्रामीण व कृषि पर्यटन, एम.आई.सी.ई और फिल्म टूरिज्म जैसे क्षेत्रों को भी प्रवासी समुदाय के बीच बढ़ावा दिया जाएगा। युवाओं को जोड़ने के लिए प्रवासी क्रिकेट लीग, कबड्डी, खो-खो और पारंपरिक खेलों के आयोजन भी भविष्य में किए जायेंगे।

इसी क्रम में प्रवासी समुदाय के योगदान को सम्मानित करने के लिए पहली बार प्रवासी राजस्थानी दिवस का आयोजन भी बुधवार को किया जा रहा है। देश-विदेश से अब तक 8738 प्रवासी राजस्थानियों ने आयोजन में शामिल होने के लिए अपना पंजीकरण कराया है। विज्ञान, कला, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, खेल, साहित्य और सामाजिक सेवा सहित विभिन्न श्रेणियों में प्रवासी राजस्थानियों के उत्कृष्ट योगदान को सम्मानित करने के लिए प्रवासी राजस्थानी सम्मान अवार्ड्स का आयोजन किया जाएगा।

प्रवासी राजस्थानियों को राज्य के सामाजिक और बुनियादी ढांचे के विकास से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। प्रवासियों के सहयोग से चल रहे 'कर्मभूमि से मातृभूमि' अभियान के अंतर्गत प्रदेश में लगभग 14 हजार 500 से अधिक जल संरक्षण रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण किया गया है। इसी तरह, प्रवासी राजस्थानियों को विद्यालयों, कॉलेजों, अस्पतालों और दूसरी सामुदायिक परियोजनाओं में नॉलेज शेयरिंग एवं पीपीपी मॉडल, सीएसआर इनिशिएटिव्स के माध्यम से वित्तीय योगदान के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश के सभी जिलों में गैप-एरियाज को चिन्हित कर एक डेशबोर्ड बनाया गया है, ताकि प्रवासी भामाशाह अपने गांव, शहर, जिले के विकास कार्यों में आसानी से योगदान दे सकें। ज्ञान संकल्प पोर्टल, विद्यालय के भामाशाह, सीएसआर पोर्टल आदि में योगदान करने के लिए भी राजस्थानी डायस्पोरा को प्रोत्साहित किया जाएगा।

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