जयपुर , नवंबर 22 -- राजस्थान में दौसा जिले की विशिष्ट केन्द्रीय कारागार श्यालावास अब केवल सुधार गृह नहीं बल्कि उत्पादन का केंद्र भी बन गया है जहां कैदियों द्वारा आधुनिक मशीनों पर उच्च गुणवत्ता वाले स्टील ग्रे रंग के ऊनी कंबल तैयार किए जा रहे हैं।
यह पहल जेल मुख्यालय जयपुर और शिवांगन स्पिनर एक्सपोर्ट इंडिया, जयपुर के बीच लगभग छह महीने पूर्व हुए एक महत्वपूर्ण एमओयू का परिणाम है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बंदियों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान कर उत्पादन आधारित पारिश्रमिक देना है, जिससे वे रिहाई के बाद एक सम्मानजनक जीवन जी सकें। इस उत्पादन इकाई में पांच रेपियर लूम, वारपिंग, मिलिंग, रेज़िंग, बेलिंग, एम्ब्रॉयडरी, सिलाई और वाइंडर जैसी आधुनिक वस्त्र मशीनरी स्थापित की गई हैं।
जेल अधीक्षक पारस जांगिड के अनुसार वर्तमान में प्रतिदिन दस बंदी जेल उद्योगशाला में आठ घंटे कार्यरत हैं और उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिए यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भविष्य में इस योजना के तहत 25-30 बंदियों को रोज़गार प्रदान करने की योजना है। उन्होंने बताया कि शनिवार को इस श्रम और कौशल का पहला परिणाम देखने को मिला जब जेल उद्योगशाला में तैयार किए गए 356 कंबलों का प्रथम लॉट औपचारिक रूप से केन्द्रीय कारागार उदयपुर के लिए रवाना किया गया।
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