जयपुर , नवम्बर 11 -- राजस्थान के पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने कहा है कि गौ माता का संरक्षण एवं संवर्धन करना आवश्यक है। जगत जननी गौ माता के बिना मानवता का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा, गौ माता पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण घटक है।
श्री दिलावर विलायती बबूल (प्रोसोपिस जुलिफोरा) के संपूर्ण उन्मूलन के लिए मंगलवार को जयपुर के दुर्गापुरा स्थित महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम में ʻचरागाह प्रबंधन एवं विलायती बबूल उन्मूलनʼ विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में यह बात कही। कार्यशाला का उद्देश्य चरागाह संरक्षण एवं पुनर्स्थापना, विलायती बबूल का समूल उन्मूलन, जैव विविधता संरक्षण रहा।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए श्री दिलावर ने कहा कि खाद के रूप में हानिकारक रसायनों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है लेकिन गौ माता का गोबर एक प्राकृतिक और अचूक उपाय है जो मिट्टी को पुन: जीवन और पोषण प्रदान करता है। गौ माता के विचरण करने के लिए चरागाह का कुशल प्रबंधन करना आवश्यक है। गोचर भूमि को विलायती बबूल मुक्त करने से पारंपरिक वनस्पतियों को बढ़ावा मिलेगा।
श्री दिलावर ने कहा कि विलायती बबूल ग्रामीण भूमि, चरागाहों और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। इसकी गहरी जड़ें और अत्यधिक जल सोखने की क्षमता से भू-जल स्तर में गिरावट और मृदा की उर्वरक शक्ति में कमी हो रही है। इसके कारण पारंपरिक स्थानीय पौधों की प्रजातियाँ भी नष्ट हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि जल्द ही राज्य के प्रत्येक गांव में चरणबद्ध तरीके से अभियान के रूप में विलायती बबूल के उन्मूलन का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। राज्य सरकार का लक्ष्य केवल विलायती बबूल को काटना नहीं बल्कि इसकी जड़ों को पूरी तरह से खत्म करना है ताकि वे दोबारा न उगें।
पंचायती राज राज्य मंत्री ओटाराम देवासी ने कहा कि चरागाह भूमि में विलायती बबूल से पारंपरिक स्थानीय वनस्पतियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह पौधा हमारे चरागाह, कृषि भूमि, नदियों/नालों के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है, जिसे जड़ से खत्म करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
पंचायती राज विभाग के शासन सचिव डॉ. जोगा राम ने बताया कि राज्य सरकार राज्य के चरागाहों का प्रबंधन और विलायती बबूल उन्मूलन करके पारंपरिक स्थानीय वनस्पतियों को बढ़ावा देने की दिशा में प्रभावी कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार शीघ्र ही राज्य में विलायती बबूल उन्मूलन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगी। स्थानीय स्तर पर पारंपरिक वनस्पतियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य में 150 बीज बैंक स्थापित किए हैं।
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