जयपुर , नवम्बर 04 -- राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' की भावना के साथ कार्य करते हुए राज्य के जनजातीय अंचलों के उत्थान के लिए कृत संकल्पित है।

आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'समावेशी और आत्मनिर्भर भारत' के विजन को साकार करने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा इन क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए ठोस नीतियां और योजनाएं बनाकर इन्हें धरातल पर उतारा गया है। राज्य का जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, जल प्रबंधन, रोजगार और संस्कृति संरक्षण के क्षेत्रों में समावेशी विकास के मूल मंत्र के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। श्री शर्मा के कुशल नेतृत्व में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की विचारधारा 'अपनी भूमि, अपनी संस्कृति और अपने अधिकारों की रक्षा' राज्य सरकार की नीतियों में साकार हो रही है। इस वर्ष भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर राज्य सरकार राज्यभर में जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा (एक से 15 नवंबर तक) के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी कर रही है।

सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के उत्थान के संकल्प को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए टीएसपी फंड को एक हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर डेढ़ हजार करोड़ रुपये किया है। साथ ही, सामुदायिक वनाधिकार क्षेत्रों के विकास पर केंद्रित गोविंद गुरू जनजातीय क्षेत्रीय विकास योजना' भी प्रारंभ की गई है। साथ ही, देवला-कोटड़ा (उदयपुर) और जसवंतपुरा (जालोर) में नए आवासीय विद्यालय तथा शाहबाद (बारां) में सहरिया जनजाति खेल अकादमी की स्थापना की जा रही है। आदिवासी बच्चों के पोषण तथा उन्हें घर के नजदीक प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 250 नवीन मां-बाड़ी केंद्रों की स्थापना भी प्रक्रियाधीन हैं। मां-बाड़ी केन्द्रों में कार्यरत शिक्षाकर्मी, महिला सहयोगिनी तथा स्वास्थ्यकर्मी के मानदेय में वित्तीय वर्ष 2025-26 से 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

आदिवासी क्षेत्र के युवाओं को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ ही उनमें कौशल विकास के लिए राज्य सरकार कई कदम उठा रही है। यहां विभिन्न छात्रावासों और आवासीय स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। राज्य में संचालित 446 आश्रम छात्रावासों में करीब 25 हजार से अधिक विद्यार्थी निःशुल्क आवास, भोजन और अध्ययन की सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं।

वहीं, आवासीय विद्यालयों की बात की जाए तो राज्य के 23 आवासीय विद्यालयों में 3,800 से अधिक विद्यार्थी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जबकि उदयपुर के ढीकली और डूंगरपुर के सूरपुर में स्थित मॉडल पब्लिक रेजिडेंशियल स्कूल शिक्षा में उत्कृष्टता के नए केंद्र बन चुके हैं। राज्य के 30 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूलों में भी लगभग 10 हजार विद्यार्थी आधुनिक शिक्षण पद्धति, डिजिटल लर्निंग और खेल सुविधाओं को प्राप्त करते हुए अध्ययनरत हैं। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाने के उद्देश्य से संचालित मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना के तहत आठ बहुउद्देशीय छात्रावासों में 878 विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग एवं आवास सुविधा दी जा रही है।

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