तुमकुरु , नवंबर 27 -- कर्नाटक में सत्तारुढ़ कांग्रेस के अंदर बढ़ते तनाव के बीच वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व मंत्री के एन राजन्ना ने गुरुवार को विधानसभा भंग करने और नेतृत्व की लड़ाई को हमेशा के लिए सुलझाने के लिए नया जनादेश मांगने की मांग की।

श्री राजन्ना ने तुमकुरु में संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री पद पर आखिरी फैसला कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी ) का होना चाहिए, जैसा कि 2023 में सिद्दारमैया को चुनते समय हुआ था।

उन्होंने कहा, "चलो विधानसभा भंग करते हैं और चुनाव का सामना करते हैं। फिर हम श्री डीके शिवकुमार के नेतृत्व में मिलकर काम करते हैं, बहुमत हासिल करते हैं और उन्हें पांच साल के लिए मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने देते हैं। सीएलपी ने पहले सिद्दारमैया को चुना था और अब भी फैसला सीएलपी को ही करना चाहिए।"श्री राजन्ना ने कहा, "मेरी इच्छा है कि सिद्दारमैया पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहें। अगर नहीं, तो डॉ. जी परमेश्वर दूसरा विकल्प हैं।" इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सत्तारुढ़ पार्टी पर हमला तेज कर दिया है। हुबली से पार्टी के विधायक महेश तेंगिंकाई ने कांग्रेस पर अंदरूनी लड़ाई को प्रशासन को पटरी से उतारने वाला बताया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के अंदर अब तीन समूह बन गए हैं। उनकी अंदरूनी लड़ाई से पार्टी में बड़ी दरारें आएंगी और यह पहले से ही राज्य में विकास पर असर डाल रही है। " उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों के मुद्दों और विकास के काम को दो साल से नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।"मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने नेतृत्व को लेकर चर्चाओं को गैर-ज़रूरी बहस बताया और कहा कि पार्टी के अंदर चर्चा ज़्यादातर होने वाले कैबिनेट फेरबदल को लेकर हैं। मौजूदा समय में 34 मंत्रियों वाले मंत्रिमंडल में से दो पद खाली हैं और पार्टी आलाकमान से सलाह-मशविरा के बाद जल्द ही भरे जाने की उम्मीद है।

उप मुख्यमंत्री शिवकुमार ने अपने इस्तीफे की खबर को निराधार बताया है। श्री शिवकुमार मौजूदा समय में अटकलों के केंद्र में हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार वह 29 नवंबर को सोनिया गांधी से मिलने वाले हैं।

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