पटना , दिसंबर 24 -- िहार विधान सभा के अध्यक्ष डॉ. प्रेम कुमार ने बुधवार को कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति में विचार, संवाद और सुशासन के प्रतीक थे।

राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में अटल बिहार विचार परिषद् के तत्वावधान में अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी वर्ष के समापन समारोह, राष्ट्रगीत वंदे मातरम् की 150वीं जयंती, जेपी आंदोलन एवं आपातकाल के 50वें वर्ष तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100वें स्थापना वर्ष के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर बिहार विधान सभा अध्यक्ष डॉ. प्रेम कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

डॉ. प्रेम कुमार ने कार्यक्रम को संबोधित करते कहा कि यह आयोजन केवल स्मरण का नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रवादी चेतना, लोकतांत्रिक मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत को आत्मसात करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति में विचार, संवाद और सुशासन के प्रतीक थे। उनकी वाणी में संवेदना, विचारों में दर्शन और निर्णयों में राष्ट्र प्रथम की भावना स्पष्ट झलकती थी।

डॉ. प्रेम कुमार ने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का सशक्त माध्यम बनाया। उन्होंने कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के माध्यम से महामना जी ने भारतीय संस्कृति, चरित्र निर्माण और राष्ट्रभक्ति को शिक्षा के केंद्र में स्थापित किया।उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 100वीं स्थापना वर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ ने सेवा, संस्कार, सामाजिक समरसता और राष्ट्रभक्ति के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया है। आपदा, महामारी या सामाजिक संकट हर परिस्थिति में संघ के स्वयंसेवकों की निःस्वार्थ सेवा राष्ट्र के लिए प्रेरणास्रोत रही है।

डॉ. कुमार ने वंदे मातरम् की 150वीं जयंती पर कहा कि यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा और स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा है, जिसने पीढ़ियों को देशभक्ति के लिए जागृत किया है।उन्होंने आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर कहा कि वह कालखंड लोकतंत्र की कठिन परीक्षा था, लेकिन देशवासियों ने साहस, संघर्ष और बलिदान से लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की। यह हमें सदैव सतर्क रहने की प्रेरणा देता है।

डॉ. प्रेम कुमार ने लोगों से आह्वान किया कि वे अटल बिहारी वाजपेयी के सुशासन, मालवीय जी के शिक्षा दर्शन, संघ के सेवा संस्कार और लोकतंत्र की रक्षा के संकल्प को अपनाकर एक सशक्त, समरस और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दें।

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