पटना, अक्टूबर 20 -- बिहार चुनाव में पहले चरण के नामांकन से नाम वापस लेने की आखिरी तारीख को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने जारी की गई अपने 143 उम्मीदवारों की सूची में कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम की प्रस्तावित सीट कुटुम्बा को शामिल नही किया, जिससे दोनो पार्टियो के बीच गतिरोध कम होने की उम्मीद बन गयी है।

पिछले कई दिनों से कुटुंबा विधानसभा सीट को लेकर राजद और कांग्रेस के बीच तनातनी चल रही थी। राजद ने अपने एक उम्मीदवार को कुटुंबा सीट पर नामांकन के लिए हरी झंडी दे दी थी, उसके बाद कांग्रेस के अध्यक्ष श्री राम ने मामले को दलित कार्ड से जोड़ दिया था और '"एक्स' पर ट्वीट कर लिखा था कि किसी भी स्थिति में उनका झुकने का इरादा नही है। इस वाकये के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेताओँ ने महागठबंधन में चल रही उठापटक की खिल्ली उड़ाई थी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने यहां तक कहा था कि जो गठबंधन ढंग से सीटें आपस मे नही बांट पा रहा है, उंससे प्रदेश में सरकार चलाने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। कुटुंबा सीट पर चल रहे गतिरोध पर खुद राजेश राम ने कहा था कि बिहार में महागठबंधन के मुखिया तेजस्वी यादव इस पर फैसला लें।

महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर गतिरोध इतना बढ़ गया कि उनके घटक दल के सदस्य विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी गठबंधन से बाहर जाते जाते बचे। बहुत मुश्किल से उन्हें मनाया गया। महागठबंधन की सभी पार्टियों ने सीट शेयरिंग की घोषणा के बगैर ही अपने उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह बांटना शुरू कर दिया था और बहुत सी सीटों पर आपस मे 'फ्रेंडली फाइट' की स्थिति भी बन गयी है। ऐसे संकेत आ रहे थे कि राजद नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम के बीच कई दिनों से संवाद भी बंद था।

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