रांची , अक्टूबर 22 -- झारखंड की राजधानी रांची के बुढ़मू में आज कॉ. बुधुवा उरांव की क्रांतिकारी विरासत को याद करते हुए भाकपा (माले) और आदिवासी संघर्ष मोर्चा के संयुक्त नेतृत्व में एक विशाल मार्च और श्रद्धांजलि सभा आयोजित की।
इस मौके पर कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए- "झारखंड में संशोधित पेसा कानून लागू करो", "नक्सल के नाम पर आदिवासियों पर दमन बंद करो", "राशन-रोजगार-वन पट्टा की गारंटी करो", "जंगल-जमीन-लोकतंत्र की रक्षा करो", और "संविधान बचाओ - देश बचाओ"।
सभा की अध्यक्षता जिला सचिव जगमोहन महतो ने की। उन्होंने कहा कि कॉ. बुधुवा उरांव 1988 में भाकपा (माले) से जुड़े और जीवनभर जंगल-जमीन, रोजगार, और आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहे। श्री महतो ने संघ-भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे और नफरत की राजनीति के खिलाफ भी आंदोलन का नेतृत्व किया।
आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार और संघर्ष की विरासत को आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है।
आदिवासी संघर्ष मोर्चा के नेता जगरनाथ उरांव ने कहा कि वनाधिकार कानून 2006 के बावजूद आज तक अधिकांश आदिवासियों को वन पट्टा नहीं मिला है। वहीं, वन संरक्षण (संशोधन) कानून 2022 और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के जरिए सरकार आदिवासियों की भाषा, संस्कृति और अस्मिता पर हमला कर रही है। उन्होंने मांग की कि केंद्र और राज्य सरकारें आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए तत्परता दिखाएं।
एरिया सचिव किशोर खंडित ने कहा कि अंचल कार्यालय अब भू-माफिया, राजनेता और प्रशासन के गठजोड़ का अड्डा बन गया है। गरीब किसानों की जमीन पर अवैध कब्जा और गैर-मजुरुआ आम भूमि का गबन जारी है। उन्होंने कहा कि भाकपा (माले) और आदिवासी संघर्ष मोर्चा जरूरत पड़ने पर जनसंघर्ष के जरिए भूमि लूट, राशन कालाबाजारी और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
सभा को अलमा खलखो, महावीर मुण्डा, सरफराज अंसारी, चांदनी उरांव, प्रीतम उरांव, रामकिशुन लोहरा, नारायण कुशवाहा, चुंदा उरांव, दिनेश साहू और महावीर उरांव ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण, मजदूर और छात्र-युवा शामिल हुए।
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