देहरादून , नवंबर 05 -- उत्तराखंड की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने बुधवार को कहा कि प्रदेश एवं देश को विकसित बनाने में युवाओं और महिलाओं का सबसे बड़ा योगदान रहेगा इसलिए उनका सशक्तिकरण पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
श्रीमती आर्या ने आज विधानसभा के विशेष सत्र में यह बात कही। उन्होंने कुल सात विभागों की उपलब्धियां सदन के समक्ष रखी और 2047 में देश को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में राज्य किन लक्ष्यों को लेकर चल रहा है इस पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि राज्य स्थापना के समय प्रदेश में कुल 4243 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित थे । 25 साल में इनकी संख्या बढ़कर 20067 हो गई है।
उन्होंने कहा कि इसी साल आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां और सहायिकाओं की भर्ती में लगभग 7000 नियुक्तियां की गई है और यह पूरी प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष रही। उन्होंने कहा कि लैंगिक अनुपात के मामले में प्रदेश में 25 साल में बड़ी प्रगति की है। 2001 में लैंगिक अनुपात 1000 के सापेक्ष 962 था जो बढ़कर अब 984 तक पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि कोविड से प्रभावित कुल 6544 बच्चों को राज्य सरकार 3000 रुपये प्रति माह आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देकर और समान नागरिक संहिता लागू करके बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की उपलब्धियां बताते हुए कहा कि शिशु मृत्यु दर राज्य गठन के समय 52 प्रति 1000 लाइव बर्थ थी, जो अब 20 प्रति 1000 रह गई है। इसमें कुल 61 फीसदी की कमी लाई गई है। उन्होंने बताया कि राज्य गठन के समय मातृ मृत्यु दर 450 प्रति लाख लाइव बर्थ थी, जो अब 91 प्रति लाख लाइव बर्थ हो गई है। यानी इसमें लगभग 80 फीसदी की गिरावट आई है। संस्थागत प्रसव राज्य गठन के समय 21 फीसदी था, जो आज 83.2 फीसदी है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में आधारभूत संस्थागत संरचना के अंतर्गत 40 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राज्य गठन के समय 134 थे, जिनकी संख्या अब 577 हो चुकी है।
महिला सशक्तिकरण मंत्री ने बताया कि वर्तमान में राज्य में कुल पांच मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो चुकी है, जिसमें 625 एमबीबीएस सीट और 239 पीजी सीट की क्षमता है। इसके अलावा पिथौरागढ़ और रुद्रपुर में दो मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य में कुल 12 राजकीय नर्सिंग कॉलेज संचालित किया जा रहे हैं और 82 निजी नर्सिंग कॉलेज की स्थापना हो चुकी है । चार राजकीय पैरामेडिकल कॉलेज और 80 निजी पैरामेडिकल कॉलेज में 13332 युवा अध्ययन कर रही हैं।
श्रीमती आर्या ने कहा कि वर्ष 2000 में चिकित्सा संवर्ग में कुल 1621 पद स्वीकृत थे वर्तमान में इन पदों की संख्या 2885 हो चुकी है। इसके साथ ही वर्तमान में राज्य में 2718 स्टाफ नर्स, 20490 एएनएम और 12018 आशा कार्यकत्रियां कार्यरत है।
समाज कल्याण विभाग के सम्बन्ध में कैबिनेट मंत्री ने बताया कि वर्ष 2000 में समाज कल्याण द्वारा दी जाने वाली पेंशन राशि 125 प्रति माह थी, जिसे बढ़ाकर Rs.1500 प्रति माह कर दिया गया है।उन्होंने बताया कि राज्य गठन के समय राज्य में पेंशनरों की संख्या 1,20,000 थी, जो वर्तमान में बढ़कर 9,38,000 हो गई है।
खेल विभाग के सम्बन्ध मे श्रीमती आर्या ने बताया कि राज्य गठन के बाद खेल विभाग का बजट एक करोड रुपए से बढ़कर वर्तमान में 275 करोड रुपए से अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य में दो अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट स्टेडियम, 17 अंतरराष्ट्रीय स्तर के इंदौर कीड़ा हाल, 6 स्विमिंग पूल, 31 इंडोर हाल, 28 आउटडोर स्टेडियम, तीन स्पोर्ट्स कॉलेज संचालित है।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड को खेल भूमि के रूप में पहचान दिलाने के लिए खिलाड़ियों को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है और 38 वें राष्ट्रीय खेलों में पदक हासिल करने वाले विजेताओं को दोगुनी इनाम राशि प्रदान की गई है। इसके साथ ही खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न जॉब और सरकारी नौकरियों में 4 फीसदी आरक्षण भी दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के समय सिर्फ 150 पीआरडी स्वयंसेवकों को रोजगार उपलब्ध होता था वर्तमान में 8000 से ज्यादा स्वयंसेवक विभिन्न ड्यूटी पर तैनात है।
श्रीमती आर्या ने कहा कि प्रदेश में अक्टूबर 2015 से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया गया है ।जिसके अंतर्गत ग्रामीण आबादी का 75 फीसदी और शहरी आबादी का 50 फीसदी शामिल है। राशन वितरण प्रणाली को दुकानों के डिजिटलीकरण के माध्यम से और ईपीओएस मशीनों के जरिए सुगम और प्रभावी बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री अंत्योदय निशुल्क गैस रिफिल योजना के तहत 1.84 लाख राशन कार्ड धारकों को वर्ष में तीन गैस रिफिल निशुल्क वितरित की जा रही है।
खरीफ फसलों की खरीद पर प्रश्नों का जवाब देते हुए कैबिनेट मंत्री श्रीमती आर्या ने बताया कि भारत सरकार से इस वर्ष उत्तराखंड को 7.50 लाख मैट्रिक धान खरीदने का लक्ष्य मिला है। जिसमें से 3 नवंबर तक 5.15 लाख मैट्रिक टन धान खरीद की जा चुकी है। इस प्रकार 3 नवंबर तक लक्ष्य का लगभग 70 फीसदी धान खरीद की जा चुकी है। इसके सापेक्ष 1131.30 करोड़ का भुगतान प्रक्रियाधीन है जबकि 755 करोड़ रुपए (लगभग 62 फीसदी) का भुगतान किया जा चुका है।
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