ग्रेटर नोएडा , सितंबर 30 -- उत्तर प्रदेश स्थित जिला गौतमबुद्धनगर परिक्षेत्र ग्रेटर नोएडा के गांव बिसरख में नहीं मनाया जाता दशहरा। यहां के निवासी इस दिन गमगीन अथवा शोक में दिन व्यतीत करते हैं और सामान्य दिनों से अलग अपनी दिनचर्या विशेष रूप से रावण के प्रति समर्पित कर रहते हैं।

प्राचीन काल में स्थापित यहां रावण का मंदिर है इस मंदिर की देखरेख रखरखाव एवं मुख्य पुजारी महंत रामदास बताते हैं कि नहीं जलता इस गांव के घर में दशहरे के दिन चूल्हा, क्योंकि यह रावण की जन्म भूमि है और ऋषि ब्रह्मा जी और पूलस्त मुनि का ये आश्रम था यहां जो शिवलिंग है इस शिवलिंग को ब्रह्मा जी और पूलस्त मुनि ने स्वयं प्रकट करा था उसके बाद रावण के पिता ऋषि विशेष्रवा का यहां जन्म हुआ था और उनके बाद जो है रावण कुंभकरण विभीषण मेघनाथ शूर्पणखा का चार भईया एक बहन का भी जन्म इसी जगह पर हुआ था।

यहां पर दशहरा खूब धूमधाम से मनाया जाता है रावण की यहां पूजा होती है यहां के श्रद्धालुओं के लिए और पूजा के प्रसाद के रूप में पुड़ी पकवान बनती है और खुरपे दरांती और हथियारों की भी पूजा होती है इसके साथ यहां ढोल भी बजता है हवन भी होता है और रावण की मूर्ति सामने यज्ञ के सामने रख हवन पूजा होती हैइस बिसरख गांव में कोई भी दशहरा के दिन रावण दहन नहीं करता और न ही होता है रावण का कोई पुतला नहीं जलाते हैं यहां ये परंपरा सदियों से चली आ रही है और यहां के निवासी इस परंपरा को निभाते भी हैंयहां आज तक किसी प्रकार का कभी कोई विरोध या आपत्ति नहीं हुई,बल्कि यहां रावण के प्रति सबके मन में एक अलग स्नेह है जिसकी वह लोग पूजा भी करते हैं।

यहां मंदिर में रावण के एक मूर्ति की स्थापना की गई है जो रावण यहां एक सिर के साथ सामान्य मानव रूप में पैदा हुए थे और इसलिए इस गांव के मंदिर में रावण दस सिर की नहीं बल्कि एक सिर के मूर्ति की स्थापना की गई है।

दशहरा के दिन यहां रावण की मूर्ति पर फूल माला चढ़ाकर उनकी मूर्ति के सामने उनके लिए बनाए गए पकवान एवं भोजन,मिष्ठान आदि से उनका भोग लगाकर उनकी बढ़ी श्रद्धा से आरती एवं पूजा की जाएगी।

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