नयी दिल्ली , अक्टूबर 21 -- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से दीपावली के पर्व पर आपसी सद्भाव, सहयोग और सकारात्मकता बढाने का आह्वान करते हुए कहा है कि मर्यादा का पालन करने के साथ-साथ अन्याय से लड़ना भी जरूरी है।

श्री मोदी ने दीपावली के अवसर पर देशवासियों के नाम एक चिट्ठी लिख कर उन्हें शुभकामनाएं दी हैं। अयोध्या में राम मंदिर के भव्य निर्माण के बाद की दूसरी दीपावली का उल्लेख करते हुए उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण दिया और कहा कि श्री राम हमें मर्यादा का पालन करना सिखाते हैं और साथ ही अन्याय से लड़ने की सीख भी देते हैं। उन्होंने कहा कि अनेक संकटों से जूझ रहे विश्व में भारत स्थिरता और संवेदनशीलता का प्रतीक बनकर उभरा है।

प्रधानमंत्री ने पत्र में देशवासियों से आपसी सद्भाव और सहयोग बढाने का आह्वान करते हुए कहा कि दीपावली हमें यही संदेश देती है। उन्होंने कहा," दीपावली हमें यह भी सिखाती है कि जब एक दीप दूसरे दीप को जलाता है, तो उसका प्रकाश कम नहीं होता बल्कि और बढ़ता है। इसी भावना से, हमें भी इस दीपावली पर अपने समाज में, अपने आसपास, सद्भाव, सहयोग और सकारात्मकता के दीप जलाने हैं।"उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के भव्य निर्माण के बाद यह दूसरी दीपावली है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम हमें मर्यादा का पालन करना सिखाते हैं और साथ ही अन्याय से लड़ने की सीख भी देते हैं। उन्होंने कहा ," इसका जीवंत उदाहरण हमने कुछ महीने पहले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी देखा। ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने मर्यादा का पालन भी किया और अन्याय का बदला भी लिया।"नक्सलवाद और माओवाद से प्रभावित जिलों के मुख्यधारा से जुड़ने के सिलसिले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस बार दूर -दराज के क्षेत्रों में भी पहली बार दीप जलेंगे। उन्होंने कहा , " इस बार की दीपावली इसलिए भी विशेष है क्योंकि देश के अनेक जिलों में, दूर-दराज के क्षेत्रोंमें पहली बार दीपावली के दीप जलेंगे। ये वो जिले हैं, जहां नक्सलवाद और माओवादी आतंक को जड़ से मिटा दिया गया है। बीते दिनों में हमने देखा है कि कैसे अनेक व्यक्ति हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हुए और उन्होंने देश के संविधान के प्रति आस्था जताई है। देश की ये बहुत बड़ी उपलब्धि है। "नयी पीढी के वस्तु एवं सेवा कर सुधारों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे देशवासियों के हजारों करोड़ रुपये बच रहे हैं। दुनिया भर में मची उथल-पुथल और टकरावों की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि अनेक संकटों से गुजर रहे विश्व में, भारत स्थिरता और संवेदनशीलता दोनों का प्रतीक बनकर उभरा है। आने वाले कुछ समय में हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बनने वाले हैं।

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