मुरैना , दिसम्बर 12 -- मध्यप्रदेश के मुरैना महिला एवं बाल विकास विभाग ने नौ माह से लापता एक नाबालिग बच्ची का उसके पिता से मिलन करा दिया।

कल यह क्षण अत्यंत भावुक एवं हृदयस्पर्शी बन गया, क्योंकि पिता उसे मृत समझ कर निराश होकर घर बैठ गया था। यह हृदयस्पर्शी मामला मार्च 2025 का है, जब एक नाबालिग बच्ची (परिवर्तित नाम - सोनी) घर पर पिता से नाराज़ होकर बिना बताए ट्रेन में बैठकर निकल गई थी। ट्रेन में अकेली बच्ची को देखकर दो युवकों ने तत्काल चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर सूचना दी। उस समय ट्रेन मुरैना स्टेशन पर रुकी हुई थी, जहाँ रेलवे पुलिस ने मौके पर पहुँचकर बालिका को सुरक्षित रेस्क्यू किया और महिला एवं बाल विकास विभाग की बाल संरक्षण इकाई को सुपुर्द कर दिया।

बाल कल्याण समिति, मुरैना के आदेशानुसार बालिका को पुनर्वास हेतु विभाग द्वारा संचालित बालिका गृह भेजा गया। बालिका की बोली तुतलाने के कारण थोड़ी अस्पष्ट थी, जिसके चलते प्रारंभिक संवाद में यह समझ पाना कठिन था कि वह कहाँ से आई है और क्या कहना चाह रही है। इसके बावजूद बाल संरक्षण इकाई द्वारा बालिका का निरंतर परामर्श किया गया।

धीरे-धीरे बातचीत में यह जानकारी सामने आई कि उसके पिता चंडीगढ़ में एक फैक्ट्री में गार्ड का काम करते हैं तथा परिवार वहीं रहता है, जबकि मूल निवास उत्तरप्रदेश के बरेली जिले के किसी गाँव में है। इस अधूरी जानकारी को आधार बनाते हुए बाल संरक्षण इकाई की सामाजिक कार्यकर्ता अर्चना मुखर्जी ने निरंतर प्रयासों से एक-एक कड़ी जोड़कर बालिका के मूल निवास-ग्राम खंजनपुर, तहसील एवं जिला बरेली (उत्तरप्रदेश)-का पता लगाया।

इस सूचना के आधार पर बाल कल्याण समिति, मुरैना ने बाल कल्याण समिति, बरेली से संपर्क कर सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट मांगी, जिसके साथ बालिका के पिता का मोबाइल नंबर प्राप्त हुआ। प्रारंभ में नंबर बंद था, फिर भी लगातार प्रयास जारी रहे। अंततः भाग्य ने साथ दिया और समिति अध्यक्ष श्रीमती पूनम डंडोतिया एवं सामाजिक कार्यकर्ता अर्चना मुखर्जी द्वारा किए गए लगातार प्रयासों से पिता से संपर्क हो गया।

आखिरकार 9 महीनों से बिछड़ी सोनी अपने पिता से मिली। यह मिलन अत्यंत भावुक और हृदय स्पर्शी क्षण था। पिता ने अपनी बेटी को खोजने के लिए घर और खेत तक गिरवी रख दिए थे। अपनी बच्ची को देखकर पिता श्री सुखपाल की आँखें भर आईं। उन्होंने बताया कि बेटी की खोज में उन्होंने घर और खेत तक गिरवी रख दिए, अनगिनत स्थानों पर तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। निराश होकर उन्होंने यह मान लिया था कि शायद उनकी बच्ची अब इस दुनिया में नहीं है।

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