पटना, 27नवम्बर (वार्ता) हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने गुरुवार को कहा कि गोवा की पूर्व राज्यपाल तथा महिषी डॉ. मृदुला सिन्हा भारत की स्त्री-चेतना का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनका सम्पूर्ण जीवन, समाज, संस्कृति और साहित्य की सेवा करते हुए व्यतीत हुआ।

श्री सुलभ ने श्रीमती सिन्हा के जयंती के अवसर पर आज यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि कई उच्च पदों पर रहने के बावजूद अहंकार मृदुला सिन्हा को छू तक नही पाया। एक जैसी सरलता, विनम्रता, स्नेह और सम्मान उनके जीवन के अंतकाल तक लक्षित होते रहे। उन्होंने कहा कि श्रीमती सिन्हा की समर्थ लेखनी में रची हुई अद्भुत कृति सीता की आत्म-कथा 'मैं सीता हूँ', में भारत की नारी-चेतना पूरी ऊर्जा के साथ अभिव्यक्त हुई है। उन्होंने कहा कि मृदुला जी सरस्वती की साक्षात प्रतिमा थीं।

डा.सुलभ ने कहा कि संयोग से आज ही लोकप्रिय कवि डा हरिवंश राय बच्चन जयंती भी है। उन्होंने श्रद्धापूर्वक स्वर्गीय बच्चन का स्मरण किया और कहा कि जीवन के प्रति सकारात्मक राग, प्रेम और दर्शन उनकी कविताओं में दृष्टिगोचर होता है। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय बच्चन की 'मधुशाला' परम चेतना की ओर एक सूक्ष्म संकेत है। वह कोई मद्यपों का स्थल नहीं, अपितु आनन्द के शास्वत स्रोत 'ब्रह्म' का रूप है। उन्होंने कहा कि बच्चन के काव्य साहित्य में प्रेम, उल्लास और जीवन-दर्शन है।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि स्वर्गीय बच्चन का संपूर्ण व्यक्तित्व आकर्षक था। उन्होंने जो कुछ भी लिखा, वह तब भी प्रासंगिक था और आज भी प्रासंगिक है। 'मधुशाला', 'मधुबाला' और 'मधु कलश' जैसी उनकी काव्य-रचनायें आज भी लोकप्रिय हैं। उन्होंने डा. मृदुला सिन्हा को स्मरण करते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व और साहित्य अत्यंत प्रेरणास्पद है।

हिंदी साहित्य सम्मेलन की उपाध्यक्ष प्रो. मधु वर्मा, डॉ. पुष्पा जमुआर, डॉ. रमाकान्त पाण्डेय, प्रो. सुनील कुमार उपाध्याय,ईं.अशोक कुमार तथा शशि भूषण कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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