बैतूल , अक्टूबर 21 -- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में मुलताई के सरकारी अस्पताल में पिछले छह महीनों से सोनोग्राफी मशीन बंद पड़ी है। लाखों रुपये की यह अत्याधुनिक मशीन अब धूल खा रही है, जबकि गर्भवती महिलाएं और गंभीर मरीज जांच के लिए बैतूल या भोपाल तक जाने को मजबूर हैं।
तकनीकी खामियों और प्रशिक्षित ऑपरेटर की अनुपलब्धता के कारण यह मशीन अब तक शुरू नहीं हो पाई है। अस्पताल में सोनोग्राफी सुविधा बंद होने से मरीजों को निजी अस्पतालों में सात से आठ सौ रुपये तक खर्च कर जांच करवानी पड़ रही है। गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए यह खर्च बड़ा बोझ बन चुका है।
सोनोग्राफी सुविधा ठप रहने से दुष्कर्म पीड़िताओं की मेडिकल जांच में भी देरी हो रही है। डॉक्टरों को उन्हें बैतूल जिला अस्पताल रेफर करना पड़ता है, जिससे न केवल जांच प्रक्रिया प्रभावित होती है, बल्कि पीड़िताओं को मानसिक रूप से भी आघात पहुंचता है।
नगर के निजी अस्पतालों में सोनोग्राफी मशीनें तो हैं, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट की अनुपलब्धता का हवाला देकर डॉक्टर पुलिस जांच या रेप मामलों में जांच से इनकार कर देते हैं। इससे कानूनी प्रक्रिया और पीड़ितों की परेशानी दोनों बढ़ जाती हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मनोज हुरमाडे ने बताया कि अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध है, लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण इसका संचालन रुका हुआ है। विभाग समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत है और जल्द ही मशीन को चालू किया जाएगा।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं रवि पवार, अनिल साहू और पवन पवार ने प्रशासन से मशीन शीघ्र शुरू करने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकारी अस्पताल में यह सेवा शुरू होने से गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों के खर्च और सफर दोनों से राहत मिलेगी।
गौरतलब है कि बैतूल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल का गृह जिला है, जहां मुलताई सरकारी अस्पताल में ही सोनोग्राफी मशीन पिछले छह महीनों से बंद पड़ी है। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब प्रदेश अध्यक्ष के अपने जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं ठप हैं, तो बाकी जिलों का हाल क्या होगा।
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