बिलासपुर, अक्टूबर 13 -- छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने प्रदेशभर के मुक्तिधामों (अंत्येष्टि स्थलों) की स्थिति पर मुख्य सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा है कि राज्य के सभी जिलों में मुक्तिधामों की व्यवस्था और सुधार कार्यों की जानकारी विस्तृत रूप से प्रस्तुत की जाए। इस मामले की अगली सुनवाई आगामी आठ दिसंबर को होगी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र प्रसाद की युगल पीठ ने सोमवार को जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। अदालत ने बिलासपुर के रहंगी ग्राम पंचायत मुक्तिधाम में पाई गई अव्यवस्था पर गंभीर नाराजगी जताई और कहा कि अब यह सुनिश्चित किया जाए कि हर जिले में सम्मानजनक अंतिम संस्कार की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों।
महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने बताया कि मुख्य सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव और कलेक्टर बिलासपुर ने अपने-अपने शपथपत्र प्रस्तुत किए हैं। बिलासपुर कलेक्टर ने बताया कि रहंगी मुक्तिधाम में अब बैठने की व्यवस्था, पानी की सुविधा और शेड बना दिए गए हैं जबकि पहुंच मार्ग के लिए सड़क निर्माण प्रस्तावित है।
अदालत ने निर्देश दिया कि मुख्य सचिव सभी जिलों के कलेक्टर, कमिश्नर और नगरीय निकाय अधिकारियों से रिपोर्ट लेकर व्यक्तिगत हलफनामा में जानकारी प्रस्तुत करें।
गौरतलब है कि यह जनहित याचिका तब दर्ज हुई जब मुख्य न्यायाधीश स्वयं एक अंतिम संस्कार में शामिल होने गए थे और मुक्तिधाम की दयनीय स्थिति देखकर उन्होंने स्वतः संज्ञान लिया था। अदालत ने कहा था,"संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर व्यक्ति को सम्मानजनक मृत्यु और दाह संस्कार का अधिकार प्राप्त है।"न्यायालय ने कहा कि शव के साथ मानवीय संवेदना जुड़ी होती है, इसलिए हर नागरिक को अपने प्रियजनों को सम्मानजनक और शांतिपूर्ण वातावरण में अंतिम विदाई देने का अधिकार है।
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