श्रीनगर , दिसंबर 12 -- हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और कश्मीर के मुख्य धार्मिक नेता मीरवाइज उमर फारूक ने शुक्रवार को दशकों पुराने मामलों में फिर से हुई गिरफ्तारियों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस कदम ने उन लोगों और परिवारों के बीच चिंता और अनिश्चितता को फिर से जगा दिया है, जिन्होंने अपना रास्ता कई वर्षों पहले बदल लिया था।

इसके साथ ही मीरवाइज ने जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकार से मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया।

जम्मू और कश्मीर पुलिस ने हाल ही में श्रीनगर में करीब 30 साल पुराने दंगों के एक मामले में दो अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किया है, जो जेल से बाहर थे। गिरफ्तार किए गए नेता जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के पूर्व प्रमुख जावेद अहमद मीर और अलगाववादी विचारक शकील बक्शी हैं।

ये गिरफ्तारियां सीबीआई को 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉ. रुबिया सईद के अपहरण मामले में झटका लगने के कुछ दिनों बाद हुईं हैं, जब उसने श्रीनगर के शफात अहमद शांगलू को यह दावा करते हुए हिरासत में लिया था कि वह फरार है।

जम्मू की विशेष टाडा अदालत ने हालांकि सीबीआई को उसकी हिरासत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि शांगलू को सबूतों की कमी के कारण पहले ही इस मामले में रिहा किया जा चुका है।

पुराने श्रीनगर के जामिया मस्जिद में शुक्रवार की प्रार्थना सभा को संबोधित करते हुए मीरवाइज ने कहा कि दशकों पुराने मामलों में गिरफ्तारियों को लेकर लोगों में गहरी चिंता और अनिश्चितता है। उन्होंने कहा, "खासकर उन लोगों में और उनके परिवार में जो लंबे समय से अपना रास्ता अलग कर चुके हैं।"मीरवाइज ने कहा, "हजारों कश्मीरी जम्मू-कश्मीर के अंदर और बाहर की जेलों में दशकों से बंद हैं, जिससे उनके परिवारों को बेहद कठिनाई के दौर से गुजरना पड़ रहा है। अधिक से अधिक लोगों की गिरफ्तारी कश्मीरी लोगों के दुख और दर्द को बढ़ा रहा है।"कश्मीरियों की बाहरी अदालतों और जेलों में लगातार बढ़ते मामले की वजह से पैदा हो रही गंभीर मानवीय और कानूनी मसलों के मद्देनजर मीरवाइज ने कहा कि इन तरीकों से मुकदमे की कार्यवाही में अक्सर देरी होती हैं, जिससे परिवारों तक पहुंच बहुत कम हो जाती है, जो इंसानियत और कुदरती इंसाफ के बुनियादी उसूलों के खिलाफ है।

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