चंडीगढ़, सितम्बर 25 -- चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर भारतीय वायुसेना ने गुरूवार को मिग-21 लड़ाकू विमानों की सेवाओं से औपचारिक विदाई के उपलक्ष्य में फुल ड्रेस रिहर्सल का आयोजन किया।
मिग-21 को 1963 में वायुसेना में शामिल किया गया था और यह विमान 60 से अधिक वर्षों तक देश की रक्षा में अपनी अहम भूमिका निभाता रहा। मिग-21 की पहली स्कवॉड्रन 1963 में चंडीगढ़ में तीन तम्बुओं से शुरू हुई थी। वायुसेना में दाखिल होने के बाद इस लड़ाकू विमान ने भारत को कई मोर्चो फतेह दिलाने में अपनी भूमिका अदा की। एक अर्से तक यह विमान भारत की हवाई ताकत का प्रतीक बना रहा। आकाश में इस विमान की गर्जना में देश के आत्मविश्वास गूंजता रहा है। कई फिल्मो में भी इसका चित्रण किया गया है। इस विमान के साथ असंख्य किस्से और कहानियां जुडी है, जिन्हें हमेशा के लिए पीछे छोड़कर मिग -21 विदाई ले रहा है। इस मौके पर मिग -21 के वर्षो के साथी पायलटो ने भी भावुकता भरे लम्हे साँझा किये।
कल चंडीगढ़ के वायुसेना केंद्र पर होने वाले विदाई समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य मेहमान के रूप में मौजूद रहेंगे। साथ ही सदस्यों सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह भी उपस्थित रहेंगे। इस समरोह को लेकर सैन्य कर्मियों सहित आम लोगों में भी उत्साह है।
बता दें कि मिग-21 ने 1965 और 1971 के युद्धों, 1999 के कारगिल संघर्ष और 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में हिस्सा लिया। खास बात यह रही कि बालाकोट के दौरान इस विमान ने एक एफ-16 को मार गिराया था। यह विमान दशकों तक भारतीय लड़ाकू पायलटों की ट्रेनिंग का अभिन्न हिस्सा भी रहा।
सेवानिवृत्ति समारोह में 'बादल' और 'पैंथर' नाम की दो फ्लाईपास्ट फॉर्मेशन्स द्वारा अंतिम उड़ान प्रस्तुत की जाएगी। इसके साथ ही स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस (एलसीए तेजसs) मिग-21 की जगह लेने के लिए तैयार हैं।
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