बटाला , अक्टूबर 24 -- पंजाब में बटाला रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां पैदल यात्री क्रॉसिंग न होने के कारण हजारों यात्रियों को खतरनाक तरीके से रेल पटरियाें को पारकर ट्रेन पकड़नी पड़ रही हैं।
इस खतरनाक अव्यवस्था पर पंजाब राज्य मानवाधिकार आयोग ने शुक्रवार को कड़ा संज्ञान लेते हुए 'वन स्टेप सोसाइटी' के अध्यक्ष कमल कुमार की शिकायत पर उत्तरी रेलवे के सहायक डिवीजनल इंजीनियर (प्रथम) और गुरदासपुर के उपायुक्त को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर, 2025 को होनी है।
समाज सेवक कमल कुमार ने अपनी याचिका में साफ तौर पर कहा है कि जब ट्रेन सेंट्रल ट्रैक पर रुकती है, तो यात्रियों को प्लेटफॉर्म से पटरियों पर छलांग लगाकर ट्रेन तक पहुंचना पड़ता है। उन्होंने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि यह हजारों लोगों के 'जीने के अधिकार' को प्रभावित करता है, खासकर ठंड के मौसम में यह ओर भी बड़ी दिक्कत बन जाती है। क्योंकि कई बार विजिबिलिटी ज़ीरो भी होती है।
कमल कुमार ने आयोग को बताया कि इस समस्या को लेकर उन्होंने पहले भी शिकायत दर्ज करायी थी। दो जुलाई, 2024 को रेलवे अधिकारियों ने जवाब दिया था कि फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) का प्रस्ताव डिवीजन को भेज दिया गया है, लेकिन, लगभग एक साल बीत जाने के बाद भी ज़मीन पर कोई प्रगति नहीं हुई। इसके विपरीत, एक अन्य शिकायत पर 22 जुलाई, 2025 के रेलवे के एक पत्र के अनुसार, एफओबी की आवश्यकता को व्यवहार्य नहीं पाया गया। इस विरोधाभासी स्थिति ने यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
रेलवे ट्रैक पर चलना या खड़ा रहना, रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 147 के तहत एक दंडनीय अपराध है। इसके लिए 'एक हजार रुपये' तक का जुर्माना या छह माह तक की कैद हो सकती है। स्थानीय जनता का सवाल है कि जब रेलवे आवश्यक सुविधाएं नहीं दे रहा है, तो यात्री क्या करें। क्या उनकी मजबूरी एक आपराधिक कृत्य बन जाती है।
'वन स्टेप सोसाइटी' ने रेलवे बोर्ड से अपील की है कि इसे मात्र एक स्टेशन समस्या न मानते हुए, जीवन बचाने वाली आवश्यक बुनियादी ढांचा माना जाये। उन्होंने न केवल एफओबी के तत्काल निर्माण की मांग की है, संस्था ने रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू से भी इस मामले पर विचार करने की मांग की है।
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