नयी दिल्ली , अक्टूबर 14 -- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 32वें स्थापना दिवस पर देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि होंगे। मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में 16 अक्टूबर 2025 को विज्ञान भवन में एक समारोह का आयोजन किया जा रहा है।

आयोग की ओर से मंगलवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार सम्मेलन में एनएचआरसी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन, सदस्य न्यायमूर्ति (डॉ.) विद्युत रंजन सारंगी, विजया भारती सयानी और प्रियांक कानूनगो, महासचिव भरत लाल और आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।

स्थापना दिवस पर आयोग ' जेलों के कैदियों के मानवाधिकार ' पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का भी आयोजन करेगा । इसके विभिन्न सत्रों में कैदियों के मानवाधिकारों और कल्याण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इन सत्रों में संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों, राजनयिकों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, कानूनविदों, प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और नागरिक समाज के सदस्यों तथा मानवाधिकार रक्षकों सहित विभिन्न हितधारक भाग लेंगे।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग 12 अक्टूबर 1993 को अपनी स्थापना के बाद से 32 वर्षों की यात्रा में कानून को अमल में लाने, जांच और कल्याणकारी योजनाओं/कार्यक्रमों में निष्पक्षता, पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक नीतिगत सुधारों, लोक-केंद्रित शासन और कार्यान्वयन तथा जमीनी स्तर पर नियमित रूप से निगरानी की वकालत करता रहा है। यह अनुसंधान, नीतिगत समर्थन और जन जागरूकता के माध्यम से पुलिस की जवाबदेही, जेल सुधार और अभियुक्तों तथा पीड़ितों के अधिकारों के संरक्षण को बढ़ावा देता है। यह समाज के सभी वर्गों, विशेषकर सबसे कमजोर वर्गों के मानवाधिकारों की रक्षा और समर्थन के लिए केंद्र और राज्यों की सरकारों, अर्ध-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों और मानवाधिकार रक्षकों के साथ सहयोग करता रहता है।

आयोग ने पिछले 32 वर्षों में 23,79,043 (23 लाख 79 हजार 43) मामलों का निपटारा किया है जिनमें 2,981 स्वतः संज्ञान के हैं। आयोग ने 8,924 मामलों में मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को 263 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राहत की अनुशंसा की है। इन मामलों में एक अक्टूबर, 2024 से 30 सितंबर, 2025 तक पिछले एक साल के दौरान दर्ज 73,849 शिकायतें और 108 स्वतः संज्ञान के मामले शामिल हैं। इस अवधि के दौरान आयोग ने घटनास्थल पर 63 मामलों में पूछताछ की, 38,063 मामलों का निपटारा किया और 210 मामलों में मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को 9 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राहत की अनुशंसा की। इनमें क्रमशः ओडिशा और तेलंगाना में आयोजित दो 'खुली सुनवाई और शिविर बैठकों' में निपटाए गए मामले और मौके पर ही राहत की अनुशंसा शामिल है।

आयोग ने देश में मानवाधिकार तंत्र को सहयोग के माध्यम से सुदृढ़ करने के अपने निरंतर प्रयास के अंतर्गत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सात मानद सदस्यों की एक सांविधिक पूर्ण आयोग बैठक आयोजित की जिसमें राष्ट्रीय आयोगों के छह सदस्य और दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त शामिल थे। आयोग ने पिछले वर्ष विशेष प्रतिवेदकों और विशेष निगरानीकर्ताओं के साथ राज्य मानवाधिकार आयोगों का सम्मेलन भी आयोजित किया था।

आयोग ने पिछले एक वर्ष में चार राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए जिनमें 'वृद्ध व्यक्तियों के अधिकार', 'डिजिटल युग में मानव तस्करी का मुकाबला', 'मानसिक कल्याण: कक्षा से कार्यस्थल तक तनाव को नियंत्रित करना' और 'ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार: उनके लिए स्थानों का पुनरुद्धार, उन्हें पुनः अभिव्यक्ति का अवसर देना' शामिल हैं।

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