हमीरपुर , अक्टूबर 29 -- हमीरपुर जिला समेत समूचे उत्तर प्रदेश में मानक विहीन जाल व मत्स्य आखेट नियमानुसार न किये जाने से रोहू, कतला, नैन प्रजातिया गांयब हो रही है। इसके लिये हमीरपुर जिले की यमुना नदी में दो लाख मछलियों के बच्चों को छोडा जायेगा ताकि यह प्रजाति विलुप्त न होने पाये।

अपर निदेशक (मत्स्य) रमाकांत दोहरे ने बुधवार को बताया कि जिले में मत्स्य आखेट के लिये यमुना व बेतवा नदी में मछुवारों को जल धारा के पट्टे आवंटित किये जाते है। मत्स्य आखेट के लिये गाइड लाइन निर्धारित है ताकि मत्स्य संपदा का नुकसान न हो और मछुवारे अपना आखेट कर जीविकोपार्जन कर सके। इसके लिये साफ निर्देश है कि जो जाल बनाया जाता है, वह तीन व चार अंगुल का ही रहेगा ताकि इस जाल में छोटी मछली किसी भी हालत में न फंस पाये ।

शासन ने जाल के जो छेद होतेे है उसके मानक लिखित रुप में निर्धारित किये है मगर उसका पालन नही हो पा रहा है, यही नही गाइड लाइन में साफ कहा गया है कि एक किलो के नीचे वाली मछली को कतई आखेट नही किया जायेगा। ताकि ये छोटी छोटी मछलियां बडी मछलिया बन सके।

बताया जाता है कि रोहू कतला नैन यह भारतीय मछलियां है लोग इन मछलियों का शिकार करते है और अच्छे दामों में बिक्री करते है,बताया जाता है कि मत्स्य आखेटको के महीन जाल होता है जिससे यह छोटी छोटी मछलिया उसमे फंस जाती है और असमय शिकार हो जाती है जबकि एक किलोग्राम से कम मछली का शिकार करना गैर कानूनी है मगर उसका कोई पालन नही हो रहा है और लगातार मत्स्य संपदा का नुकसान होता जा रहा है।

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