शिलांग , अक्टूबर 16 -- मेघालय उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने राज्य सरकार को प्रदेश में नशे की लत से निपटने के लिए उठाए गये कदमों का विवरण तीन सप्ताह में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश सौमेन सेन और न्यायमूर्ति वानलुरा डिएंगदोह की खंडपीठ ने बुधवार को राज्य सरकार से नशा मुक्ति के उपायों और नशा पीड़ितों के लिए पुनर्वास केंद्र स्थापित करने के बारे में एक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। इस दौरान न्यायालय ने केंद्र सरकार को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के माध्यम से मेघालय में मादक पदार्थों की आपूर्ति को रोकने के लिए उठाए गये कदमों के संबंध में एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

गौरतलब है कि मेघालय बंगलादेश के साथ 443 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है, जिसमें से 49.216 किलोमीटर बिना बाड़ वाला हिस्सा और गश्त के लिए दुर्लभ क्षेत्र है। अदालत ने यह आदेश मेवाकर लिंगदोह द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए दिया। सुनवाई के दौरान लिंगदोह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एसपी महंत ने अदालत को बताया कि राज्य में मादक पदार्थों के खतरे को रोकने के लिए सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गये हैं। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा हाल ही में किए गये निरीक्षण के दौरान, राज्य में पुनर्वास केंद्रों की संख्या अपर्याप्त थी।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित